Shariq Siddiqui Shayari ~ शारिक़ सिद्दीक़ी उत्तराखंड के काशीपुर से हैं. पेशे से अध्यापक शारिक़ मुशाइरों में भी शिरकत करते हैं. उनके चुनिन्दा अशआर हम यहाँ पेश कर रहे हैं-
मेरे जुनून ने बख़्शी है ज़िन्दगी मुझको,
अगर मैं होश में होता तो मर गया होता
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अधूरी रह गई है नींद लेकिन
हमारा खा़ब पूरा हो गया है
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फिर अना को सर झुकाना पड़ गया
आपका नंबर मिलाना पड़ गया
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घर से निकला था मैं तुमको ढूंढने
रास्ते मे फिर ज़माना पड़ गया
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वो वापस ही नहीं आया पलटकर
वो ज़िदी था मगर इतना नहीं था
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बिछड़ कर आपसे जिंदा रहेंगे
बिछड़ते वक़्त अंदाज़ा नहीं था
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मेरे कमरे मे तन्हाई बहुत थी
मेरे कमरे मे दरवाज़ा नहीं था
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दवाएं भी असर कब कर रहीं थी
मुझे भी ठीक ही होना नहीं था
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मेरी आँखें जो तुमसे कह गयी हैं
मुझे हरगिज़ भी वो कहना नहीं था
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ख़ुशी से क़ैद कर लेना हमें पर
क़फ़स में एक रोशनदान रखना
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इतनी हिम्मत नहीं थी दरिया में,
हमने ख़ुद कश्तियाँ डुबोई हैं
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अब ग़मों से और कुछ हासिल करो
शेर कहना तो सभी को आ गया
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तुम ज़माने से छीन लाओ उसे,
रोने धोने से कुछ नहीं होगा
मुनव्वर राना के बेहतरीन शेर
अपनी शायरी में इन शब्दों का बार-बार इस्तेमाल करते हैं तहज़ीब हाफ़ी…
~ Shariq Siddiqui Shayari