उर्दू की बेहतरीन रुबाईयाँ

Best Urdu Rubai Shaam Shayari Har Haqeeqat Majaz Ho Jaye Tagore ki Kahani Bhikharin Parveen Shakir Shayari

Best Urdu Rubai रूबाई (Rubai) – रूबाई चार-चार मिसरों की ऐसी शा’इरी को कहते हैं जिनके पहले, दूसरे और चौथे मिसरों का एक ही रदीफ़, क़ाफ़िये में होना ज़रूरी है. इसमें एक बात समझनी ज़रूरी है कि ग़ज़ल के लिए प्रचलित 35-36 बह्र में से कोई भी रूबाई के लिए इस्तेमाल में नहीं लायी जाती है. … Read more

मिर्ज़ा रफ़ी सौदा की रुबाइयाँ और ग़ज़लें

Mirza Rafi Sauda Shayari

Mirza Rafi Sauda Shayari रुबाइयाँ Mirza Rafi Sauda Shayari 1. गर यार के सामने मैं रोया तो क्या, मिज़्गाँ में जो लख़्त-ए-दिल पिरोया तो क्या ये दाना-ए-अश्क सब्ज़ होना मालूम इस शूर ज़मीं में तुख़्म बोया तो क्या 2. ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना जाना, ये तौफ़ जुलाहे काहे ताना बाना पहचानेगा वाँ क्या उसे … Read more

मिर्ज़ा ग़ालिब की रुबाइयाँ…

Mirza Ghalib ki shayari Ghalib Shayari Rubai Naqsh Fariyadi Hai Dard Minnat Kash Yak Zarra e Zamin Nahini Bekaar Baagh Ka Mirza Ghalib ke sher

मिर्ज़ा ग़ालिब (27 दिसंबर, 1796 – 15 फ़रवरी 1869) (Ghalib Shayari Rubai) उर्दू के सबसे महान शा’इरों में शुमार किये जाते हैं.उनकी ग़ज़लें तो सभी जानते हैं कि कितनी मक़बूल हैं लेकिन उनकी रुबाइयाँ भी उतनी ही मज़ेदार और प्यारी हैं. 1. आताशबाज़ी है जैसे शग़्ले-अत्फ़ाल है सोज़े-जिगर का भी इसी तौर का हाल था … Read more