सफ़र के वक़्त – जौन एलिया

Jaun Elia Best Sher

तुम्हारी याद मिरे दिल का दाग़ है लेकिन सफ़र के वक़्त तो बे-तरह याद आती हो बरस बरस की हो आदत का जब हिसाब तो फिर बहुत सताती हो जानम बहुत सताती हो मैं भूल जाऊँ मगर कैसे भूल जाऊँ भला अज़ाब-ए-जाँ की हक़ीक़त का अपनी अफ़्साना मिरे सफ़र के वो लम्हे तुम्हारी पुर-हाली वो … Read more

भली सी एक शक्ल थी – अहमद फ़राज़

Ahmad Faraz Best Shayari

भले दिनों की बात है भली सी एक शक्ल थी न ये कि हुस्न-ए-ताम हो न देखने में आम सी न ये कि वो चले तो कहकशाँ सी रहगुज़र लगे मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे कोई भी रुत हो उसकी छब फ़ज़ा का रंग-रूप थी वो गर्मियों की छाँव थी … Read more

वो हँसती है तो उसके हाथ रोते हैं – अब्बास ताबिश

किसी के ब’अद
अपने हाथों की बद-सूरती में खो गई है वो

मुझे कहती है ‘ताबिश’! तुमने देखा मेरे हाथों को
बुरे हैं नाँ?

अगर ये ख़ूबसूरत थे तो इनमें कोई बोसा क्यूँ नहीं ठहरा”
अजब लड़की है

पूरे जिस्म से कट कर फ़क़त हाथों में ज़िंदा है
सुराही-दार गर्दन नर्म होंटों तेज़ नज़रों से वो बद-ज़न है

कि इन अपनों ने ही उसको सर-ए-बाज़ार फेंका था
कभी आँखों में डूबी

और कभी बिस्तर पे सिलवट की तरह उभरी
अजब लड़की है

ख़ुद को ढूँढती है
अपने हाथों की लकीरों में

जहाँ वो थी न है, आइंदा भी शायद नहीं होगी
वो जब उँगली घुमा कर

‘फ़ैज़’ की नज़्में सुनाती है
तो इसके हाथ से पूरे बदन का दुख झलकता है

वो हँसती है तो उसके हाथ रोते हैं
अजब लड़की है

पूरे जिस्म से कट कर फ़क़त हाथों में ज़िंदा है

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हम देखेंगे – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम देखेंगे लाज़िम है कि हम भी देखेंगे वो दिन कि जिसका वादा है जो लौह-ए-अज़ल में लिख्खा है जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ रूई की तरह उड़ जाएँगे हम महकूमों के पाँव-तले जब धरती धड़-धड़ धड़केगी और अहल-ए-हकम के सर-ऊपर जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी जब अर्ज़-ए-ख़ुदा के काबे से सब बुत उठवाए जाएँगे हम अहल-ए-सफ़ा … Read more

जुदाई की पहली रात – परवीन शाकिर

Parveen Shakir Best Sher

आँख बोझल है मगर नींद नहीं आती है मेरी गर्दन में हमाइल तिरी बाँहें जो नहीं किसी करवट भी मुझे चैन नहीं पड़ता है सर्द पड़ती हुई रात माँगने आई है फिर मुझ से तिरे नर्म बदन की गर्मी और दरीचों से झिझकती हुई आहिस्ता हवा खोजती है मिरे ग़म-ख़ाने में तेरी साँसों की गुलाबी … Read more

आईना ~ परवीन शाकिर

Parveen Shakir Best Sher

परवीन शाकिर की नज़्म – आईना लड़की सर को झुकाए बैठी कॉफ़ी के प्याले में चमचा हिला रही है लड़का हैरत और मुहब्बत की शिद्दत से पागल लम्बी पलकों के लर्ज़ीदा सायों को अपनी आँख से चूम रहा है दोनों मेरी नज़र बचा कर इक दूजे को देखते हैं हँस देते हैं मैं दोनों से … Read more

इतना मालूम है!

Parveen Shakir Best Sher

अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़ सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा मैं यहाँ हूँ मगर उस कूचा-ए-रंग-ओ-बू में रोज़ की तरह से वो आज भी आया होगा और जब उसने वहाँ मुझको न पाया होगा! आपको इल्म है वो आज नहीं आई हैं? मेरी हर दोस्त से उसने यही … Read more

रक़ीब से

आ कि वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझसे जिसने इस दिल को परी-ख़ाना बना रक्खा था जिसकी उल्फ़त में भुला रक्खी थी दुनिया हमने दहर को दहर का अफ़्साना बना रक्खा था आश्ना हैं तिरे क़दमों से वो राहें जिन पर उसकी मदहोश जवानी ने इनायत की है कारवाँ गुज़रे हैं जिन से उसी … Read more

रेत पर सफ़र का लम्हा – अहमद शमीम

Saleem Sarmad Shayari

Ret Par Safar Ka Lamha रेत पर सफ़र का लम्हा – अहमद शमीम कभी हम ख़ूब-सूरत थे किताबों में बसी ख़ुश्बू की सूरत साँस साकिन थी बहुत से अन-कहे लफ़्ज़ों से तस्वीरें बनाते थे परिंदों के परों पर नज़्म लिख कर दूर की झीलों में बसने वाले लोगों को सुनाते थे जो हम से दूर … Read more

सज़ा – जौन एलिया

Jaun Elia Best Sher

Saza Jaun Elia हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम हर बार तुमसे मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं तुम कौन हो ये ख़ुद भी नहीं जानती हो तुम मैं कौन हूँ ये ख़ुद भी नहीं जानता हूँ मैं तुम मुझको जान कर ही पड़ी हो अज़ाब में और इस तरह ख़ुद अपनी सज़ा … Read more