मशहूर शाइर राहत इन्दौरी की 10 शानदार ग़ज़लें

Rahat Indori Top Ghazals

Rahat Indori Top Ghazals आज के दौर के मशहूर शायरों की बात की जाए तो उसमें राहत इन्दौरी का नाम ज़रूर आएगा. राहत की शायरी जितना मुशायरों में पसंद की जाती थी उसी तरह से उनकी किताबें भी ख़ूब पसंद की जाती रही हैं. ग़ज़ल 1: अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए … Read more

अलविदा राहत साहब…

Rahat Indori Ki Yaad

Rahat Indori Ki Yaad Mein: कल सुबह जब मैं उठा तो ये ख़बर आ रही थी कि राहत इन्दौरी साहब की तबीअत ख़राब हो गई है. उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ है और इस वजह से उन्हें इंदौर के एक अस्पताल में दाख़िल किया गया है. यूँ तो मुझे ये बहुत चिंता की बात नहीं लगी … Read more

“ये खटमल ये मक्खी ये मच्छर की दुनिया”- अहमद अल्वी

ये खटमल ये मक्खी ये मच्छर की दुनिया ये लंगूर भालू ये बंदर की दुनिया ये कुत्तों गधों और ख़च्चर की दुनिया ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ये चोरों ये लुच्चों लफ़ंगों की दुनिया ये कमज़ोरों की और दबंगों की दुनिया तप-ए-दिक़ के बीमार चंगों की दुनिया ये दुनिया अगर मिल … Read more

‘मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे’

बैठे-बिठाए हो गई घर में मार-कुटाई चार बजे मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दुआ ने काम किया अम्मी और अब्बा ने मिल कर मेरा काम तमाम किया आज मुहल्ले-भर में गूँजी मेरी दुहाई चार बजे मेरे बुज़ुर्गों ने मुझको तहज़ीब सिखाई चार बजे नाहक़ हम … Read more

दो शाइर, दो ग़ज़लें (23): राजेन्द्र मनचंदा बानी और अहमद फ़राज़

अहमद फ़राज़ मनचंदा बानी

(अहमद फ़राज़ मनचंदा बानी) राजेन्द्र मनचंदा “बानी” की ग़ज़ल ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था क़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था हर आँख कहीं दौर के मंज़र पे लगी थी बेदार कोई अपने बराबर से नहीं था क्यूँ हाथ हैं ख़ाली कि हमारा कोई रिश्ता जंगल से नहीं था … Read more

दो शाइर, दो नज़्में(12): मजाज़ और मख़दूम

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Majaz Shayari Hindi असरार उल हक़ ‘मजाज़’ की नज़्म: बोल! अरी ओ धरती बोल! बोल! अरी ओ धरती बोल! राज सिंघासन डाँवाडोल बादल बिजली रैन अँधयारी दुख की मारी प्रजा सारी बूढ़े बच्चे सब दुखिया हैं दुखिया नर हैं दुखिया नारी बस्ती बस्ती लूट मची है सब बनिए हैं सब ब्योपारी बोल! अरी ओ धरती … Read more

दो शाइर, दो ग़ज़लें (23): असग़र गोंडवी और अल्लामा इक़बाल

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असग़र गोंडवी अल्लामा इक़बाल असग़र गोंडवी की ग़ज़ल: जीने का न कुछ होश न मरने की ख़बर है जीने का न कुछ होश न मरने की ख़बर है ऐ शोबदा-पर्दाज़ ये क्या तर्ज़-ए-नज़र है सीने में यहाँ दिल है न पहलू में जिगर है अब कौन है जो तिश्ना-ए-पैकान-ए-नज़र है है ताबिश-ए-अनवार से आलम तह-ओ-बाला … Read more

दो शाइर, दो नज़्में(11): हबीब जालिब और नून मीम राशिद

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Habib Jalib Shayari Hindi हबीब जालिब की नज़्म- औरत बाज़ार है वो अब तक जिस में तुझे नचवाया दीवार है वो अब तक जिस में तुझे चुनवाया दीवार को आ तोड़ें बाज़ार को आ ढाएँ इंसाफ़ की ख़ातिर हम सड़कों पे निकल आएँ मजबूर के सर पर है शाही का वही साया बाज़ार है वो अब … Read more

दो शा’इर, दो ग़ज़लें (20): दुष्यंत कुमार और मजाज़

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Dushyant Kumar Shayari दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल: ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो अब कोई ऐसा तरीक़ा भी निकालो यारो दर्द-ए-दिल वक़्त को पैग़ाम भी पहुँचाएगा इस कबूतर को ज़रा प्यार से पालो यारो लोग हाथों में लिए बैठे हैं अपने पिंजरे आज … Read more

दो शाइर, दो नज़्में(10): कैफ़ी आज़मी और मुनीर नियाज़ी

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Kaifi Azmi Shayari Hindi कैफ़ी आज़मी की नज़्म- दाएरा रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे, फिर वहीं लौट के आ जाता हूँ बार-हा तोड़ चुका हूँ जिन को उन्हीं दीवारों से टकराता हूँ रोज़ बसते हैं कई शहर नए रोज़ धरती में समा जाते हैं ज़लज़लों में थी ज़रा सी गर्मी वो भी अब रोज़ ही … Read more