अरग़वान रब्बही के शेर…
Arghwan Rabbhi Shayari है इक तमीज़ कि बाहर निकल नहीं सकता, तुम्हारा हाथ पकड़ कर मैं चल नहीं सकता अरग़वान…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Arghwan Rabbhi Shayari है इक तमीज़ कि बाहर निकल नहीं सकता, तुम्हारा हाथ पकड़ कर मैं चल नहीं सकता अरग़वान…