बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी…. बहादुर शाह ज़फ़र
Bahadur Shah Zafar Shayari बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Bahadur Shah Zafar Shayari बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी…