‘ग़म’ शब्द पर ख़ूबसूरत शेर
Gham Shayari हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है शहरयार ___ पत्थर के…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Gham Shayari हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है शहरयार ___ पत्थर के…