‘ग़म’ शब्द पर ख़ूबसूरत शेर

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Gham Shayari हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है शहरयार ___ पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है बशीर बद्र ___ हुआ जब ग़म से यूँ बे-हिस तो ग़म क्या सर के कटने का न होता गर जुदा … Read more