आलोकधन्वा की कविता – भागी हुई लड़कियाँ

Alok Dhanwa Bhagi Hui Ladkiyan

Alok Dhanwa Bhagi Hui Ladkiyan ~ आलोक धन्वा का जन्म 2 जुलाई 1948 ई० में मुंगेर (बिहार) में हुआ. धन्वा को हिन्दी के बड़े कवियों में शुमार किया जाता है. आलोक धन्वा को कविता के क्षेत्र में विशेष पहचान 70 के दशक में मिली. उनकी कविताओं का अंग्रेज़ी और रूसी भाषाओं में अनुवाद हुआ है. … Read more

चाँद का मुँह टेढ़ा है ~ गजानन माधव मुक्तिबोध

Chand Ka Munh Tedha Hai Main Tum Logon Se Door Hoon Gajanan Madhav Muktibodh

Chand Ka Munh Tedha Hai ~ चाँद का मुँह टेढ़ा है ~ गजानन माधव मुक्तिबोध नगर के बीचों-बीच आधी रात—अँधेरे की काली स्याह शिलाओं से बनी हुई भीतों और अहातों के, काँच-टुकड़े जमे हुए ऊँचे-ऊँचे कंधों पर चाँदनी की फैली हुई सँवलाई झालरें। कारख़ाना—अहाते के उस पार धूम्र मुख चिमनियों के ऊँचे-ऊँचे उद्गार—चिह्नाकार—मीनार मीनारों के … Read more