हकीम मोमिन ख़ाँ ‘मोमिन’

Momin Khan Momin

Momin Khan Momin हकीम मोमिन ख़ाँ ‘मोमिन’- उर्दू काव्य में ‘मोमिन’ का एक विशेष महत्त्व है। उनका क्षेल मुख्यतः प्रेम-व्यापार होते हुए भी उन्होंने वर्णन में जो तड़प पैदा की, वह उन्हीं का हिस्सा थी। वर्णन-सौन्दर्य की तारीफ़ यह है कि वे अभिव्यक्ति की मौलिकता और भावपक्ष की प्रबलता दोनों के लिए प्रसिद्ध हो गये … Read more

दो शा’इर, दो ग़ज़लें (4): ग़ालिब और ज़ौक़…

Ghalib Aur Zauq ki Ghazalen ~ “साहित्य दुनिया” केटेगरी के अंतर्गत “दो शा’इर, दो ग़ज़लें” सिरीज़ में हम आज जिन दो शा’इरों की ग़ज़लें आपके सामने पेश कर रहे हैं वो एक ही दौर के हैं और उर्दू शा’इरी में उस्ताद माने जाते हैं. शेख़ इब्राहिम “ज़ौक़” जो कि आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह “ज़फ़र” … Read more