होली शायरी

होली शायरी : गले मुझको लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में

भारतेंदु हरिश्चंद्र

‘रसा’ गर जाम-ए-मय ग़ैरों को देते हो तो मुझको भी
नशीली आँख दिखला कर करो सरशार होली में

भारतेंदु हरिश्चंद्र

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मुझे जो क़ुमक़ुमा मारा तो कर दिया बिस्मिल
अजीब रंग से खेले शिकार होली में

कल्ब-ए-हुसैन नादिर

सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका
बिन होली खेले ही साजन भीग गया

मुसव्विर सब्ज़वारी

ग़ैर से खेली है होली यार ने
डाले मुझ पर दीदा-ए-ख़ूँ-बार रंग

इमाम बख़्श नासिख़

अब की होली में रहा बे-कार रंग
और ही लाया फ़िराक़-ए-यार रंग

इमाम बख़्श नासिख़

होली के अब बहाने छिड़का है रंग किस ने
नाम-ए-ख़ुदा तुझ ऊपर इस आन अजब समाँ है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
कुछ किसी का नहीं किसी को ख़याल

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

शब जो होली की है मिलने को तिरे मुखड़े से जान
चाँद और तारे लिए फिरते हैं अफ़्शाँ हाथ में

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

बहार आई कि दिन होली के आए
गुलों में रंग खेला जा रहा है

जलील मानिकपूरी

लब-ए-दरिया पे देख आ कर तमाशा आज होली का
भँवर काले के दफ़ बाजे है मौज ऐ यार पानी में

शाह नसीर

होली शायरी

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