ख़्वाब ~ परवीन शाकिर
परवीन शाकिर की नज़्म – ख़्वाब खुले पानियों में घिरी लड़कियाँ नर्म लहरों के छींटे उड़ाती हुई बात-बे-बात हँसती हुई…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
परवीन शाकिर की नज़्म – ख़्वाब खुले पानियों में घिरी लड़कियाँ नर्म लहरों के छींटे उड़ाती हुई बात-बे-बात हँसती हुई…
Shakeel Badayuni Shayari नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं…
सैयद इंशा अल्लाह ख़ाँ ‘इंशा’ ( Insha Allah Khan Shayari ) का जन्म 1752 में हुआ था. इंशा के पिता…