Noshi Gilani Shayari
तुझसे अब और मुहब्बत नहीं की जा सकती,
ख़ुद को इतनी भी अज़ीयत नहीं दी जा सकती
हब्स का शहर है और उसमें किसी भी सूरत,
साँस लेने की सहूलत नहीं दी जा सकती
रौशनी के लिए दरवाज़ा खुला रखना है,
शब से अब कोई इजाज़त नहीं ली जा सकती
इश्क़ ने हिज्र का आज़ार तो दे रक्खा है,
इस से बढ़ कर तो रिआयत नहीं दी जा सकती
नोशी गिलानी Noshi Gilani Shayari
इस ग़ज़ल में रदीफ़ “जा सकती” है जबकि क़ाफ़िए “की, दी, दी, ली, दी” हैं.
शायरा के बारे में~ नोशी गिलानी का जन्म १४ मार्च, सन १९६४ में पाकिस्तान के बहावलपुर में हुआ। नोशी आधुनिक दौर की सबसे कामयाब शायरों में से एक हैं। १९९५ में वो अपने परिवार के साथ संयुक्त राज्य अमरीका में रहने लगीं। सन २००८ में उन्होंने ऑस्ट्रेल्या में रहने वाले सईद ख़ान से शादी कर ली। फ़िलहाल वो अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेल्या में रहती हैं। Noshi Gilani Biography
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