Ada Shayari ~ अदा शायरी
अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया
चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
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ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ी
सिमट के आ गए सब आपकी अदाओं में
कालीदास गुप्ता रज़ा (Kalidas Gupta Raza)
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तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो
आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना
शकील बदायूनी (Shakeel budayuni)
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ख़ूब-रू हैं सैकड़ों लेकिन नहीं तेरा जवाब
दिलरुबाई में अदा में नाज़ में अंदाज़ में
लाला माधव राम जौहर (Lala Madhav Ram Jauhar)
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कुछ इस अदा से आपने पूछा मिरा मिज़ाज
कहना पड़ा कि शुक्र है परवरदिगार का
जलील मानिकपूरी (Jaleel Manikpuri)
अख़बार शायरी
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सूरत तो इब्तिदा से तिरी ला-जवाब थी
नाज़-ओ-अदा ने और तरह-दार कर दिया
जलील मानिकपूरी (Jaleel Manikpuri)
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आपने तस्वीर भेजी मैंने देखी ग़ौर से
हर अदा अच्छी ख़मोशी की अदा अच्छी नहीं
जलील मानिकपूरी (Jaleel Manikpuri)
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इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib)
उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें (रदीफ़ और क़ाफ़िए की जानकारी के साथ)
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अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
निज़ाम रामपुरी (Nizam Rampuri)
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जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं
क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
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ये जो सर नीचे किए बैठे हैं
जान कितनों की लिए बैठे हैं
जलील मानिकपूरी (Jaleel Manikpuri)
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अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आया
हज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया
नूह नारवी (Noor Naarvi)
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जान लेनी थी साफ़ कह देते
क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की
अज्ञात (Unknown)
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तुझको देखा न तिरे नाज़-ओ-अदा को देखा
तेरी हर तर्ज़ में इक शान-ए-ख़ुदा को देखा
मिर्ज़ा मायल देहलवी (Mirza Mayal Dehlvi)
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दुश्मन के घर से चल के दिखा दो जुदा जुदा
ये बाँकपन की चाल ये नाज़-ओ-अदा की है
बेख़ुद देहलवी (Bekhud Dehlvi)
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पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
आग़ा शाएर क़ज़लबाश (Aagha Shaer Qazalbaash)
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आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है
अमीर मीनाई (Ameer Minai)
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आपने तस्वीर भेजी मैंने देखी ग़ौर से
हर अदा अच्छी ख़मोशी की अदा अच्छी नहीं
जलील मानिकपूरी (Jaleel Manikpuri)
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निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़-उफ़
अदाएँ इस क़दर प्यारी कि तौबा
आरज़ू लखनवी (Arzoo Lucknowi)
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अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ
देखा जो मुझको छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ
निज़ाम रामपुरी (Nizaam Rampuri)
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हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना
अकबर इलाहाबादी (Akbar Allahabadi)
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पूछा जो उनसे चाँद निकलता है किस तरह
ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
आरज़ू लखनवी (Aarzoo Lucknowi)
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गुल हो महताब हो आईना हो ख़ुर्शीद हो मीर
अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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नाज़ है गुल को नज़ाकत पे चमन में ऐ ‘ज़ौक़’
उसने देखे ही नहीं नाज़-ओ-नज़ाकत वाले
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ (Zauq Ibrahim Zauq)
~ Ada Shayari
प्रेरणादायक शायरी
चाँद पर शायरी
उर्दू के पहले शा’इर: वली, दाऊद और सिराज
दिल टूटने पर शेर..