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टीम इंडिया के वर्ल्ड कप से बाहर हो जाने से घर में सभी दुखी हैं और अचानक बदले माहौल से ननकू थोड़ा हैरान है। ननकू को पापा ने समझाया तो था लेकिन उसे अब तक कुछ ठीक से समझ ही नहीं आया और यहाँ चीकू और रसगुल्ला को तो जैसे कुछ समझना ही नहीं है। देखो न कैसे दौड़-दौड़ के बिल्ली को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ननकू उन दोनों को देख रहा था और ये भी सोच रहा था कि घर में सबकी परेशानी दूर करके कैसे सबको हँसाया जाए। बाहर आती माँ ने जब ननकू को इस तरह सोच में डूबा देखा तो वो समझ गयीं कि ये घर के माहौल पर ही सोच रहा है पापा माँ को ननकू की बात बता भी दिए थे। माँ ननकू के पास बैठीं और उसे बाहों में भरकर अपनी ओर खिंचती हुई बोलीं –

“क्या हो गया मेरे बच्चे को..क्या सोच रहा है?”

“माँ..सब के सब बात ही नहीं कर रहे..राखी बुआ तो कितनी उदास हैं..अब हम क्या करें?”- ननकू ने माँ से सवाल किया

“बात तो सही कह रहा है..”- माँ ने सोचते हुए कहा

“मेरे पास एक आयडिया है..”- ननकू ख़ुश होते हुए बोला

“अच्छा..बता तो..”- माँ मुस्कुराते हुए बोलीं

ननकू ने माँ को अपना आयडिया बताया तो माँ को हँसी आ गयी पर उन्हें विश्वास भी हो गया कि ऐसे घर के लोगों का मूड बिलकुल ठीक हो सकता है। उन्होंने ननकू को प्यार से गले लगा लिया और गाल पर प्यार किया। ननकू झट से छूटा और आवाज़ लगाया अपनी टोली को..

“रसगुल्ला..चीकू..आ जो जल्दी से”- दोनों उसकी आवाज़ सुनते ही बिल्ली को छोड़कर झट से दौड़कर आ गए। बिल्ली भी चुप होकर दीवार पर बैठ गयी। ननकू दोनों के साथ चला अंदर दादी के पास..दोनों दादियों की तो बातें चल रहीं थीं..ननकू और टोली को आता देख दादियों ने पूछा

“क्या बात है भई..आज ननकू, चीकू रसगुल्ला सब हमारी तरफ़..”

“हाँ दादी..आप हमारी टीम में आओगे?”- ननकू ने सवाल किया

“अरे हम दोनों तो तेरी ही टीम में हैं” – दोनों दादी ने ननकू के गाल को खिंचते हुए कहा

ननकू को ये बात सुनकर मज़ा आ गया वो ख़ुशी से दादी के गले लगा और ये देखकर चीकू और रसगुल्ला भी ख़ुशी से कूद पड़े। तीनों का ये छोटा सा डान्स पूरा हुआ तो अब ये टोली आगे बढ़ी। दादियाँ वापस लग गयीं अपनी बातचीत में।

अब ननकू की टोली जा पहुँची पापा के पास..ननकू ने पापा को अपना आयडिया बताया तो पापा मुस्कुरा उठे और तुरंत उसके प्लान में शामिल हो गए। अब ननकू की टीम में हो गए थे छः सदस्य दादी, मौसी दादी, पापा, माँ, चीकू और रसगुल्ला।

अब शुरू हुआ प्लान का दूसरा दौर..दादी ने ननकू को पेपर का एक छोटा सा भोपूँ बनाकर दिया और शुरू हो गयी ननकू की घोषणा..

“सुनो..सुनो..राखी बुआ और रॉकी चाचा को हम बताना चाहते हैं कि घर के आँगन में एक मैच होने वाला है..जो भी हमारा मैच देखना चाहता है वो बाहर आ जाओ”

राखी बुआ रूम से बाहर आकर ननकू की घोषणा सुन रही थीं..रॉकी चाचा छत पर थे वहाँ तक थोड़ी ही आवाज़ गयी थी लेकिन नीचे ज़्यादा शोर सुनकर वो भी सीढ़ियों तक आ ही गए थे। राखी बुआ ने रॉकी चाचा को देखा और दोनों मुस्कुरा दिए। इतनी देर बाद दोनों के चेहरे पर मुस्कान देखकर दोनों दादियों को अच्छा लगा। लेकिन अभी तो मैच बाक़ी था।

तो खेल का मैदान जम गया था। आँगन की एक दीवार पर तीन लाइन खींचकर स्टम्प बनाया गया। कपड़ा धोने की मोगरी बना बैट..चीकू और रसगुल्ला बने फ़िल्डर, माँ बनीं बॉलर, पापा बने दूसरे बेट्समैंन और दादियाँ बनी अंपायर। राखी बुआ और रॉकी चाचा बने दर्शक और खड़े होकर देखने लगे ये अनोखा मैच..ननकू कपड़ा धोने की मोगरी लेकर खड़ा था..माँ ने उसे लग न जाए सोचकर पहली बॉल ऐसी फेंकी कि वो ननकू तक पहुँची ही नहीं। पापा ये देखकर आ गए बोलिंग करने और फिर उन्होंने फेंकी बॉल जिसे ननकू ने मारा और इस तरह शुरू हुआ मैच।

जब ननकू बॉल मारता तो चीकू और रसगुल्ला दौड़ते..पर बॉल मिल जाती किसी न किसी को और दोनों वापस आ खड़े होते अपनी जगह पर, वो भी ननकू के कहने पर ही। किसी तरह ननकू और मम्मी के चार रन बन गए। अब पापा की बैटिंग की बारी थी जैसे ही ननकू ने बॉल फेंकी रसगुल्ला ने दौड़कर बॉल को मुँह में दबोच लिया और उसके पास आ गया चीकू जो बॉल को लेकर भागा। ननकू भी पीछे बॉल लेने भागा। पर रसगुल्ला और चीकू तो आँगन में दौड़ लगा रहे थे और ननकू उनके पीछे। बाक़ी सब ये देखते-देखते हँस- हँस के लोटपोट हो रहे थे।

राखी बुआ और रॉकी चाचा का हँस-हँस के बुरा हाल था। अब तो राखी बुआ भी उनके साथ खेलने में जुट गयी थीं और रॉकी चाचा भी कूद पड़े इस खेल में। दो टीम बन गयी एक में थे रॉकी चाचा और चेकू जो बॉल देने ही नहीं वाले थे और दूसरी टीम में रसगुल्ला, ननकू और राखी बुआ, जो बॉल लेने की कोशिश कर रहे थे। अब दर्शक बन गए थे माँ, पापा और दोनों दादियाँ।

रॉकी चाचा और राखी बुआ को भी बच्चा बनकर मज़ा आ रहा था। चीकू, रसगुल्ला और ननकू तो ऐसा खेल खेलते ही रहते थे। ऑफ़िस से लौटे राजू चाचा भी ये सारी हलचल और हंगामा देखकर मुस्कुराने लगे, दादियों के पास बैठकर राजू चाचा ने सारी बात जानी और इस अनोखे मैच के मज़े लेने लगे। इधर रॉकी चाचा ने चीकू को गोद में उठा लिया अब तो ननकू, रसगुल्ला और राखी बुआ के लिए बॉल लेना मुश्किल था। तभी आँगन की दीवार पर बिल्ली वापस आयी चीकू उसे देखकर भौंका और बॉल उसके मुँह से गिर गयी। ननकू ने झट से बॉल उठा लिया राखी बुआ और ननकू ख़ुशी से नाचने लगे रसगुल्ला भी कूदने लगा पर चीकू को बिल्ली के पास देखकर रसगुल्ला भी वहाँ पहुँच गया।

राखी बुआ, ननकू और रॉकी चाचा दादियों के पास आकर बैठ गए। खेल के बहाने सब ख़ुश हो चुके थे और खिलखिला रहे थे। इतने में ननकू ने माँ को देखा तो माँ ने उसे इशारा किया..ननकू ने साइड से एक कप उठाकर राखी बुआ से कहा- “राखी बुआ..आप कप नहीं मिला तो उदास थीं न..आप मेरा कप ले लो”..राखी बुआ ने ननकू को प्यार से गले लगा लिया।

(खेल में हार जीत तो लगी रहती है लेकिन खेलने से जो ख़ुशी मिलती है वो ज़रूरी है। जब भी हम हारते हैं तो और आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं..हार कर बैठने से काम थोड़ी चलता है..ननकू के आयडिया से ये बात सभी को समझ आ गयी..आप भी अब कभी हारने से न डरना और न ही उदास होना..और अभी तो उदास ही नहीं सकते अभी तो ननकू, चीकू और रसगुल्ला के साथ खेलना है न..आओ जल्दी)

One thought on “अनोखा मैच”
  1. ‘अनोखा मैच’ बहुत ही सरल और सहज कहानी है! पढ़कर वाकई वर्ल्ड कप से बाहर हो जाने का गम कम हुआ। चेहरे पर मुस्कान आ गई। घर के माहौल का चित्रण, क्रिकेट मैच का बारीकी से वर्णन प्रशंसनीय है।
    ननकू द्वारा अपनी बुआ को अपना कप दे देना, दिलचस्प लगा।
    आपका यह प्रयास सराहनीय है।

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