भरतनाट्यम की पुनरुत्थान की योद्धा: रुक्मिणी देवी अरुंडेल की प्रेरक गाथा

Rukmini Devi Arundale Biography ~ आज हम सखी विशेष में जिनका ज़िक्र करने वाले हैं वो हैं रुक्मिणी देवी अरुंडेल। ये एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने भरतनाट्यम को एक अलग पहचान दी। 29 फ़रवरी 1904 को मदुरै तमिलनाडू में जन्मी रुक्मिणी देवी, के पिता नीलकंठ शास्त्री एक इंजीनियर और स्कॉलर थे और माँ सीशामल्ल संगीत … Read more

बाल कहानी ~ ननकू के क़िस्से

है और हैं का प्रयोग Urdu Ke Mushkil Shabd Urdu Hindi Nuqte Wale हिन्दी व्याकरण इ और ई Ghazal Kya hai Children Story in Hindi

Children Story in Hindi बाल कहानी ~ ननकू के क़िस्से “ननकू के क़िस्से” नाम से हमारी ये सिरीज़ बच्चों में बहुत लोकप्रिय है. पाठकों की मांग पर हम इसके सारे लिंक एक साथ यहां साझा कर रहे हैं. ये कहानी “नेहा शर्मा” द्वारा लिखी गई हैं. नेहा शर्मा साहित्य दुनिया की संस्थापक सदस्य हैं और … Read more

स्वतंत्रता संग्राम की अमर वीरांगना: रोहिणी बाई परगनिहा की साहसिक गाथा

Rohini Bai Paraniha

Rohini Bai Paraniha Biography ~ आज जिस वीरांगना की बात हम करने वाले हैं वो हैं रोहिणी बाई परगनिहा। 1919 में रोहिणी बाई का जन्म तर्रा गाँव के एक बड़े घर में हुआ था।पिता शिवलाल प्रसाद गाँव के बड़े मालगुज़ार थे। देहुती बाई की बेटी रोहिणी बचपन से ही बड़े लाड प्यार से पली थीं। … Read more

राजकुमारी अमृत कौर: समाज सुधार और स्वतंत्रता की क्रांतिकारी

Rajkumari Amrit Kaur Biography ~ आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसी क्रांतिकारी महिला की जिन्होंने इस सूत्र पर काम किया कि समाज में बदलाव लाना हो तो स्वयं में बदलाव करना होगा, हम बात कर रहे हैं राजकुमारी अमृत कौर की। 2 फ़रवरी 1989 को लखनऊ में जन्मी अमृत कौर के पिता राजा … Read more

आनंदीबाई जोशी: भारत की पहली महिला डॉक्टर की प्रेरक कहानी

Anandi Gopal Joshi Biography ~ 31 मार्च 1865 को पुणे में जन्मी आनंदीबाई जोशी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी। वो भी ऐसे समय में जब महिलाओं के लिए शिक्षा ग्रहण करना भी बड़ी बात हुआ करती थी। आनंदी बाई जोशी ने विदेश जाकर ये पढ़ाई पूरी की और डिग्री हासिल की। डॉक्टर बनने का निर्णय उन्होंने चौदह साल की उम्र में लिया था। इसमें उनके पति गोपालराव ने उनका सहयोग किया। आनंदी बाई के डॉक्टर बनने का निर्णय लेने की बात भी एक निजी घटना के कारण थी। उनका विवाह नौ साल की उम्र में हो गया था उस समय उनके पति की उम्र 29 साल थी। जब वो चौदह साल की थीं तो वो माँ बनीं लेकिन दस दिनों ke अंदर ही उन्होंने अपनी संतान को खो दिया। ये आघात वो सहन नहीं कर पायीं और उन्होंने निर्णय लिया कि अब कोई भी बच्चा असमय मृत्यु का ग्रास नहीं बनेगा और इसके लिए वो डॉक्टर बनेंगी ताकि वो इलाज करके मदद दे सकें। जैसा कि अक्सर होता है एक बदलाव भरा क़दम उठाने पर उसका विरोध अवश्य होता है। आनंदी बाई जोशी के डॉक्टर बनने के निर्णय को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। एक शादीशुदा स्त्री विदेश जाकर पढ़ाई करे इस बात को उस समय का समाज स्वीकार नहीं कर पा रहा था। लेकिन आनंदी बाई दृढ़ प्रतिज्ञ थीं और वो लोचनाओं की परवाह न करते हुए अपने निश्चय पर अटल रहीं। उनके पति गोपालराव ने उनका सहयोग किया और 1880 में अमेरिका एक पत्र भी भेजा। इस पत्र के कारण आनंदीबाई को अमेरिका में रहने की जगह मिली। डॉक्टर बनने जाने से पहले आनंदी बाई अपने पति के साथ कलकत्ता में थीं उसी समय से उन्हें स्वास्थ्य सम्बंधी शिकायतें थीं जैसे कि कमज़ोरी, निरंतर सिरदर्द, कभी-कभी बुखार और कभी-कभी सांस की परेशानियाँ आदि। फिर भी वो अपनी शिक्षा के लिए विदेश गयीं। ये राह भी आसान नहीं थी उन्हें आलोचनाओं का सामना तो करना पड़ ही रहा था साथ ही वित्तीय समस्याएँ भी थीं। आख़िर उन्होंने पश्चिम सेरमपुर कॉलेज हॉल में समुदाय को संबोधित किया। इस सम्बोधन में अमेरिका जाने और मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के फैसले के बारे में समझाया। उन्होंने भारत में महिला डॉक्टरों की जरूरत पर बल दिया और भारत में महिलाओं के लिए एक मेडिकल कॉलेज खोलने के अपने लक्ष्य के बारे में बात की। उनका ये भाषण लोकप्रिय हुआ और पूरे देश से उन्हें वित्तीय योगदान मिलने शुरू हो गए। आनंदीबाई ने कोलकाता पानी के जहाज़ की यात्रा की न्यूयॉर्क पहुँची। उन्होंने पेंसिल्वेनिया की वूमन मेडिकल कॉलेज में दाख़िला लिया और मात्र 19 वर्ष की आयु में अपना चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू किया। अमेरिका का ठंडा मौसम और अपरिचित आहार उनके स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा था लेकिन फिर भी वो अपने दृढ़ निश्चय से आगे बढ़ रही थीं। उन्हें तपेदिक हो गया था फिर भी उन्होंने 11 मार्च 1885 को एमडी से स्नातक किया। उनकी थीसिस का विषय था "आर्यन हिंदुओं के बीच प्रसूति"। 1886 के अंत में जब आनंदी बाई भारत लौटकर आयीं तो उनका भव्य स्वागत हुआ। कोल्हापुर में उन्हें स्थानीय अस्पताल की महिला वार्ड का चिकित्सक प्रभारी चुना गया। 26 फ़रवरी 1887 को आनंदी बाई का 22 साल की उम्र में तपेदिक से निधन हो गया। उनकी राख को न्यूयॉर्क भेजा गया जहाँ उनकी अंतिम स्मृति के तौर पर एक शिलालेख बनाया गया और उसमें लिखा गया. “आनंदी जोशी एक हिंदू ब्राह्मण लड़की थी, जो विदेश में शिक्षा प्राप्त करने और मेडिकल डिग्री प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला थी।” Anandi Gopal Joshi Biography

Anandi Gopal Joshi Biography ~ 31 मार्च 1865 को पुणे में जन्मी आनंदीबाई जोशी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी। वो भी ऐसे समय में जब महिलाओं के लिए शिक्षा ग्रहण करना भी बड़ी बात हुआ करती थी। आनंदी बाई जोशी ने विदेश जाकर ये पढ़ाई पूरी की और डिग्री हासिल … Read more

आवाज़ की मल्लिका: एम एस सुब्बुलक्ष्मी का प्रभावशाली जीवन

M S Subbulakshmi Biography

M S Subbulakshmi Biography ~ गायन एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ हम कई महिलाओं को पाते हैं लेकिन एक ऐसा समय भी हुआ करता था जब यहाँ भी पुरुषों का एकाधिकार था। ये वही दौर था जब कर्नाटक संगीत में एक ऐसी सधी हुई आवाज़ गूंजी और लोगों को अपने बस में करती गयीं। उस … Read more

कला की मल्लिका: ज़ोहरा सहगल के जीवन की अनकही बातें

Zohra Sehgal Biography

Zohra Sehgal Biography आज बात एक जानी पहचानी शख़्सियत ज़ोहरा सहगल की। ज़ोहरा सहगल जिन्हें हमने कई फ़िल्मों और TV सीरियल्स में देखा है हम उनकी ज़िंदादिली और अदाकारी से तो वाक़िफ़ हैं लेकिन उनके करियर की कई बातों को अब भी नहीं जानते। उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में 27 अप्रैल 1912 को जन्मी ज़ोहरा बेगम … Read more

प्रभा खेतान: साहित्य, नारीवाद और समाज सेवा की अनूठी मिसाल

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Prabha Khetan Biography प्रभा खेतान का जन्म 1 नवंबर,1942 को हुआ। वो एक ख्याति प्राप्त उपन्यासकार, कवियित्री,नारीवादीचिंतक एवं समाज सेविका थीं। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की और ‘ज्यां पॉल सार्त्र के अस्तित्ववाद’ पर पीएचडी की उपाधि हासिल की। वो जब सिर्फ़ 12वर्ष की थीं तभी से वो साहित्य साधना … Read more

मेहनत, लगन और सफलता की मिसाल: हीना सिद्धू

Heena Sidhu

Heena Sidhu आज बात करने वाले हैं निशाने की पक्की हीना सिधु की, जो ऐसी पहली भारतीय हैं जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ी खेल संघ ( ISSF- International shooting sports federation) द्वारा आयोजित विश्व कप के फ़ायनल में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यही नहीं वो पहली ऐसी भारतीय हैं जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ी खेल संघ द्वारा पिस्टल … Read more

भोगेश्वरी फुकनानी

Bhogeshwari Phuknaani Freedom Fighter ~ आज सखी विशेष में हम बात करने वाले हैं एक ऐसी महिला क्रांतिकारी की बात करने वाले हैं जिन्होंने 70 वर्ष की उम्र में इस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। इनका नाम है भोगेश्वरी फुकनानी। 1885 में भोगेश्वरी फुकनानी असम के नौगाँव में जन्मी थीं। दो बेटी और छः … Read more