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ननकू के क़िस्से

बिस्तर में लेटे ननकू के ऊपर रसगुल्ला कूदने लगा..बार- बार उसकी चादर हटाता और उसको उठाने की कोशिश करने लगता। ननकू ने रसगुल्ला को पकड़ा और उसे भी सुलाने लगा..पर रसगुल्ला तो ननकू को जगाकर बाहर ले जाना चाहता था, वो कूदे जा रहा था। ननकू ने नींद से भरी हुई आँखें खोलीं-

“रसगुल्ला..क्या हुआ?”

ननकू के इतना कहते ही रसगुल्ला और उछ्लने लगा..आख़िर ननकू उठा और उसके साथ बाहर निकला। बाहर आँगन में जाते ही ननकू की नींद से आधी बंद आँखें पूरी खुल गयीं..नज़ारा ही कुछ ऐसा था। पूरे आँगन में आम ही आम गिरे थे और उनके साथ बीच-बीच में जामुन भी बिखरे थे। माँ, नानी, डॉली दीदी, विक्की और विन्नी सभी आम और जामुन उठा रहे थे। ननकू और रसगुल्ला को देखते ही माँ ने कहा-

“शाबाश रसगुल्ला..उठा लाया ननकू को”- रसगुल्ला उछलते हुए माँ की तरफ़ भागा लेकिन बीच में आम की ख़ूशबू से उस ओर खिंचा चला गया और एक आम मुँह में उठाकर किनारे बैठकर उसे खाने लगा।

“इतना सारा आम कौन लाया?” – ननकू ने आँखें मलते हुए पूछा

बरामदे में बैठी नानी ननकू को गोद में बिठाती हुई बोलीं- “आँधी रानी लायी है, रात में ख़ूब तेज़ आँधी आयी और सारा आम लाकर यहाँ रख गयी”

“नानी..आँधी ने सारे आम तोड़ दिए?”- ननकू के इस सवाल पर नानी ने ननकू को पकड़कर गले लगाते हुए कहा- “थोड़े-थोड़े बाक़ी हैं..लेकिन इतना सारा आम गिरा है और मेरा लड्डू..मेरा ननकू एक भी आम नहीं खाएगा?”

“खाऊँगा ना…” मानों ननकू की नींद तुरंत खुल गयी और वो झट से नानी की गोद से कूदकर माँ और डॉली मौसी के पास पहुँच गया और आम उठाने लगा। तभी ज़ोर से बादल गरजे और माँ ने ननकू को पकड़कर अपने पास लगा लिया। लेकिन ननकू डरा नहीं उसको तो मज़ा आ गया वो हँसते-हँसते बोला- “नानी, बादल को भी आम चाहिए..”

उसकी बात से सभी मुस्कुराने लगे। इसी समय झट से बारिश शुरू हो गयी। डॉली मौसी, विक्की और विन्नी अंदर भागे, नानी ने कहा- “सुमन, ननकू को ले आ जल्दी”

पर माँ बोलीं- “अरे माँ..बारिश से बचेंगे तो भीगेंगे कैसे?..है न ननकू”

ननकू भी माँ की हाँ में हाँ मिलाते हुए वहीं खड़ा रहा। बारिश तेज़ होने लगी। ननकू माँ के साथ बारिश में भीगने लगा, रसगुल्ला भी उनके पास आ गया। ननकू तो नाचने लगा और उसको देखकर रसगुल्ला भी उछ्लने लगा। अब तो विक्की और विन्नी का भी मन भीगने के लिए मचलने लगा। दोनों ने डॉली मौसी को देखा और डॉली मौसी ने उन्हें भी जाने की इजाज़त दे दी। फिर क्या माँ, ननकू और रसगुल्ला के साथ विक्की और विन्नी भी आ गए बारिश में भीगने के लिए। उनकी मस्ती देख- देखकर डॉली मौसी और नानी घर के दरवाज़े पर खड़े-खड़े हँसने लगे।

बारिश रुक गयी लेकिन बच्चों की मस्ती नहीं रुकी फिर माँ ने आँगन के नल से पाइप खिंचा और बच्चों पर एक बार पानी की फुहार डाली..सब नाचने लगे। फिर एक-एक कर सबको माँ नहलाती गयीं। नानी और डॉली मौसी ने मिलकर उन्हें पोंछकर सूखे कपड़े पहना दिए। माँ ने रसगुल्ला को पोंछा और ख़ुद भी अंदर कपड़े बदलने गयीं। बस थोड़ी देर में हॉल में बैठकर बच्चे गरमागरम चॉकलेट दूध और बड़े चाय का मज़ा ले रहे थे। बड़ों की बातें शुरू हो गयीं और बच्चे अपने खेल में लग गए थे।

(बारिश का मौसम आ गया है..बारिश में नहाने में बड़ा मज़ा आता है लेकिन ज़्यादा देर पानी में नहीं भीगना चाहिए नहीं तो तबियत ख़राब हो जाती है, थोड़ी देर भीगकर भी ऐसा मज़ा आता है कि क्या बताएँ। ननकू ने तो बारिश का मज़ा ले लिया और रसगुल्ला, वो तो ननकू के साथ ढेर सारी मस्ती करता है..लेकिन अभी सब खेलने में लग गए। आप भी आइए इनके साथ खेलने)

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