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Farhat Ehsas Shayari

Farhat Ehsas Shayari

किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं
वो रंग है ही नहीं जो तिरे बदन में नहीं

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं
फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं

सोशल मीडिया पर मशहूर कुछ शेर…

जंगलों को काट कर कैसा ग़ज़ब हमने किया
शहर जैसा एक आदम-ख़ोर पैदा कर लिया

मिट्टी की ये दीवार कहीं टूट न जाए
रोको कि मिरे ख़ून की रफ़्तार बहुत है

तमाम शहर की आँखों में रेज़ा रेज़ा हूँ
किसी भी आँख से उठता नहीं मुकम्मल मैं

इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से
मुहब्बत कर के देखो ना मुहब्बत क्यूँ नहीं करते

हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है
शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है

अमीर इमाम के बेहतरीन शेर

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है

इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के

किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं
वो रंग है ही नहीं जो तिरे बदन में नहीं

ये शहर वो है कि कोई ख़ुशी तो क्या देता
किसी ने दिल भी दुखाया नहीं बहुत दिन से

सब के जैसी न बना ज़ुल्फ़ कि हम सादा-निगाह
तेरे धोके में किसी और के शाने लग जाएँ

फ़रहत एहसास

दिल्ली शहर पर ख़ूबसूरत शेर…

Farhat Ehsas Shayari

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