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Famous Trending ShayariFamous Trending Shayari

Famous Trending Shayari ~ हमारे देश में उर्दू पढ़ने वालों की आबादी भले कम हो लेकिन उर्दू समझने वाले बड़ी संख्या में हैं. भारत में देवनागरी लिपि उर्दू शायरी बहुत पढ़ी जाती है और फ़ेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल्स पर भी देवनागरी लिपि में उर्दू शाइरी को शेयर किया जाता है. यही वजह है कि हम आपके लिए कुछ ऐसी शायरी लेकर आये हैं जो सोशल मीडिया पर पोपुलर हैं, गूगल पर इनको सर्च किया जाता है.
‘ग़म’ शब्द पर ख़ूबसूरत शेर
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक
– ग़ालिब

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मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं

– जौन एलिया (रम्ज़ नज़्म से..)
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फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंज़ूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क़ हो, भरपूर होना चाहिए

– राहत इन्दौरी
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ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया,
झूठी क़सम से आपका ईमान तो गया

– दाग़ देहलवी
हसरत मोहानी के बेहतरीन शेर
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मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

– मजरूह सुल्तानपुरी

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क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तजरिबा होगा

– जावेद अख़्तर

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दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नक़ाब रखते हैं

– राहत इंदौरी

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हमें चराग़ समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़्ताब रखते हैं

– राहत इंदौरी

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मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया

– साहिर लुधियानवी
रहमान फ़ारिस के बेहतरीन शेर..

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बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया

– साहिर लुधियानवी

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जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया
जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया

– साहिर लुधियानवी

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ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया

– साहिर लुधियानवी
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मैं उसको हर रोज़ बस यही एक झूठ सुनने को फ़ोन करता
सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है

– तहज़ीब हाफ़ी

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तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

– तहज़ीब हाफ़ी

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बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता

– बशीर बद्र

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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

– निदा फ़ाज़ली
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ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बाँ मिली है मगर हम-ज़बाँ नहीं मिलता

– निदा फ़ाज़ली
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कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता

– निदा फ़ाज़ली

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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

– बशीर बद्र

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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

– अहमद फ़राज़
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अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है ‘फ़राज़’
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें

– अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ के बेहतरीन शेर…
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तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें

– अहमद फ़राज़

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ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

– अल्लामा इक़बाल

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