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ननकू के क़िस्से

मौसी दादी के घर से वापस जाने की सारी तैयारी तो हो गयी है बस कल सुबह-सुबह निकलना है, सारे दिन जगह-जगह से ननकू के खिलौने और रसगुल्ला, चीकू के सामान उठा-उठा के माँ और राखी बुआ पैक करते रहे। अब शाम को थककर वो दोनों चाय लेकर दादी- मौसी दादी के पास बैठी हुई थीं और आपस में बातें कर रही थीं।

ननकू, रसगुल्ला और चीकू सारे दिन उदास ही रहे लेकिन जब से पता चला कि राखी बुआ उनसे मिलने जल्दी ही आएँगी वो सब ख़ुश-ख़ुश नज़र आ रहे थे। लेकिन तीनों आज तो रूम में ही दुबके थे बाहर नज़र ही नहीं आ रहे थे। बाहर से रॉकी चाचा आए तो सभी को देखकर पूछे-

“अरे..ख़ुराफ़ाती बच्चे कहाँ हैं हमारे?”

“वो तीनों कमरे में घुसे हुए हैं आज दोपहर से ही…जाने क्या कर रहे हैं?”- मौसी दादी बोलीं

उनकी बात सुनकर माँ मुस्कुराते हुए दादी को देखकर बोलीं- “माँ..बताओ क्या कर रहे होंगें तीनों अंदर?”

मौसी दादी, राखी बुआ और रॉकी चाचा तीनों दादी और माँ को आश्चर्य से देखा। रॉकी बुआ से तो रहा ही नहीं गया- “मौसी..बताओ क्या चल रहा है अंदर?”

“चिट्ठी..”- दादी मुस्कुरा के बोलीं

“चिट्ठी..?”

“हाँ..ननकू अब जाने वाला है न यहाँ से, तो तुम्हारे लिए चिट्ठी लिख रहा होगा। कल सुबह देगा तुम दोनों को”- दादी मुस्कुराकर बोलीं

“अरे वाह…” राखी बुआ ख़ुश होते हुए बोलीं।

“लेकिन मैं ये जो आइसक्रीम लाया हूँ..उसको अभी दूँ कि नहीं?” रॉकी चाचा हाथ में पकड़े थैले को देखते हुए बोले

“रॉकी..तू अभी उसको आइसक्रीम का लालच मत दे..पहली बार तो कोई चिट्ठी लिख रहा है..तेरी चिट्ठी लिखेगा न तब देना तू आइसक्रीम..अभी मुझे दे” राखी बुआ ने रॉकी चाचा के हाथ से थैला खींचते हुए कहा और उसे लेकर अंदर चली गयीं। सब राखी बुआ की इस हरकत पर खिलखिला उठे

“ये ननकू से कम है मौसी?”- रॉकी चाचा के ये कहते ही सब ठहाके लगा के हँस पड़े।

थोड़ी देर में ननकू की टोली कमरे से बाहर निकली तो सभी उन्हें देखकर मुस्कुराने लगे। राखी बुआ के मन में तो चल रहा था कि जल्दी से ननकू उन्हें उनके लिए लिखी चिट्ठी दे दे। पर अभी तो इंतज़ार करना था। बाहर आते ही ननकू राखी बुआ की गोद में बैठ गया रसगुल्ला देखने लगा वो भी राखी बुआ की गोदी में बैठेने आया था पर अब ननकू बैठ गया तो रसगुल्ला झट से माँ की गोद में बैठ गया। चीकू दोनों को देखकर सोच ही रहा था कि रॉकी चाचा ने उसको गोद में उठा लिया और बैठ गए। चीकू रॉकी चाचा को प्यार से चाटने लगा। इतने दिनों में रॉकी चाचा और चीकू की बढ़िया दोस्ती हो गयी थी।

“राखी बुआ..आप घर में आने वाले हो न?”- ननकू एक बार फिर पूछा

“हाँ..तू जाकर घर साफ़ कर ले फिर मैं आती हूँ”- राखी बुआ बोलीं

“भाभी मैं आपसे मिलने आऊँगा और चीकू से..बाक़ी तो कोई मुझे बुला ही नहीं रहा” रॉकी चाचा ने ननकू को छेड़ा

“राखी बुआ अकेले थोड़ी आएँगी आप साथ में आना न रॉकी चाचा”

“अच्छा..राखी बुआ के लिए ही बुला रहा है मुझे..सब समझ गया मैं”- कहकर रॉकी चाचा नाराज़ होने का बहाना करने लगे। उनको देखकर ननकू झट से उनको मनाने के लिए उनको गले लगाने को उठा और उसके गले लगते ही रॉकी चाचा ने उसके गालों को हल्के से दबा के प्यार किया

“बड़ा होशियार है..आइसक्रीम खाना है तुम तीनों को?”

“आइसक्रीम…????” ननकू ख़ुशी से चिल्ला उठा और चीकू, रसगुल्ला के साथ मिलकर नाचने लगा। सब उन्हें देखकर हँसने लगे

“भाभी..इन तीनों का ये डान्स बहुत मिस होगा..अब जब भी उधर आऊँगा सीधे घर में आकर बैठ जाऊँगा”- रॉकी चाचा ने माँ से कहा

“आइसक्रीम…” राखी बुआ सभी के लिए कटोरी में आइसक्रीम लेकर आयीं और उनकी आवाज़ सुनते ही ननकू, रसगुल्ला और चीकू झट से राखी बुआ के पास दौड़कर आ गए। राखी बुआ ने उन्हें उनकी-उनकी कटोरी दी..तीनों आइसक्रीम खाने में लग गए।

(कल सुबह ही ननकू माँ, पापा, दादी और रसगुल्ला, चीकू के साथ निकल जाएगा घर की ओर..राखी बुआ को इंतज़ार है ननकू की चिट्ठी का..वैसे राखी बुआ के पास भी ननकू, रसगुल्ला और चीकू के लिए तोहफ़ा है..वो क्या है ये तो पता चलेगा कल)

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