Learn Urdu Poetry Hindi वज़्न की बातें सिरीज़ में हमने इसके पहले आपको बताया था कि किस तरह से कुछ शब्दों का वज़्न होता तो 21 है लेकिन कुछ लोग 12 ले लेते हैं. इसमें हमने जो शब्द बताये थे वो ऐसे थे जिसमें कुल तीन अक्षर थे और बीच का अक्षर “ह” था और आख़िर का “र”, जैसे शहर, क़हर इत्यादि. आज हम कुछ और ऐसे अलफ़ाज़ बताएँगे जो तीन हर्फ़ी हैं और इनका वज़्न 21 होता है लेकिन कुछ लोग 12 ले लेते हैं.
इसमें एक लफ़्ज़ है “ज़हन”, ज़हन को पढ़ते समय हमें ये बात ध्यान रखनी है कि “ज़” और “ह” जोड़े में पढ़े जायेंगे, यानी “ज़ह” और “न” अलग से, इसलिए इसका वज़्न 21 होगा (ज़ह-2, न-1). इसी तरह से वहम, रहम भी आयेंगे. “वजह” शब्द का वज़्न भी कुछ लोग 12 ले लेते हैं, “व” अलग “जह” अलग-अलग पढ़ कर जोकि सही नहीं है, सही तरीक़ा “वज्-ह” है. यानी “व” और “ज” जोड़े में रहेंगे और “ह” अलग से. इसलिए “वजह” का वज़्न 21 होगा. इसी तरह से “दफ़्न“, “अम्न“, “उम्र”,”सुल्ह”, “सतह”, “शम’अ” (शम्मा, शमा ग़लत है), “नब्ज़”, “ज़ख़्म”, “क़ब्र”, “अब्र”,इत्यादि का वज़्न 21 ही लिया जाएगा.
हम आपको पहले ही ये बात बता चुके हैं कि किसी भी शब्द का वज़्न उसकी आवाज़ के आधार पर ही किया जाता है. किसी शब्द में अगर कोई अक्षर किसी और के साथ जोड़ा बनाता है तो उसे 2 आवाज़ दी जाती है जबकि अकेले रह जाने वाले अक्षर को 1 माना जाता है. आज बताये गए शब्दों को भी इसी आधार पर समझने की ज़रुरत है.
आज का शेर:
कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा,
कोई आवाज़ आती रही रात भर (मख़दूम मुहीउद्दीन)
को(2)ई(1) दी(2)वा(2)ना(1) गलि(2)यों(2) में(1) फिर(2)ता(2) र(1)हा(2),
को(2)ई(1) आ(2)वा(2)ज़(1) आ(2)ती(2) र(1)ही(2) रा(2)त(1) भर(2)
दोनों मिसरों का वज़्न 212 212 212 212 है. इस शेर में ‘गलियों’ का ‘वज़्न’ 22 लिया गया है वो इसलिए क्यूँकि ‘गलियों’ पढ़ने में ‘गल-यों’ आता है, अब अगर देखें तो इसमें दो जोड़े बन गए हैं जिस वजह से वज़्न 22 लिया गया. ‘दीवाना’ का वज़्न 222 होता है लेकिन यहाँ ‘ना’ को गिरा कर पढ़ा है इसलिए इसका वज़्न 221 लिया गया है. गिरा कर पढ़ने का कारण लय और बह्र की पाबंदी है.
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