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Manchanda Bani Majaz Shayari Majaz Ki ShayariMajaz Lucknowi

उर्दू के बेहतरीन शायर असरार उल हक़ मजाज़ के बेहतरीन शेर.. Asrar Ul Haq Majaz Ke Best Sher

बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है

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कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ मुझे भी ख़राब होना था

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शहर की रात और मैं नाशाद ओ नाकारा फिरूँ
जगमगाती जागती सड़कों पे आवारा फिरूँ

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मुझको ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुद
उनको ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई

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तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था

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ये मेरे इश्क़ की मजबूरियाँ मआज़-अल्लाह
तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं

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जुदाई पर शेर

बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मुहब्बत है
मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है

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क्या क्या हुआ है हम से जुनूँ में न पूछिए
उलझे कभी ज़मीं से कभी आसमाँ से हम

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आँख से आँख जब नहीं मिलती
दिल से दिल हम-कलाम होता है

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हुस्न को शर्मसार करना ही
इश्क़ का इंतिक़ाम होता है

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ये आना कोई आना है कि बस रस्मन चले आए
ये मिलना ख़ाक मिलना है कि दिल से दिल नहीं मिलता

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हिन्दू चला गया न मुसलमाँ चला गया
इंसाँ की जुस्तुजू में इक इंसाँ चला गया

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मिरी बर्बादियों का हम-नशीनो
तुम्हें क्या ख़ुद मुझे भी ग़म नहीं है

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Train Shayari ~ रेलगाड़ी पर बेहतरीन शेर

तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया
बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूँ मैं

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हाए वो वक़्त कि जब बे-पिए मद-होशी थी
हाए ये वक़्त कि अब पी के भी मख़्मूर नहीं

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इश्क़ क्या क्या न आफ़तें ढाए
हुस्न गर मेहरबाँ न हो जाए

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अक़्ल की सतह से कुछ और उभर जाना था,
इश्क़ को मंज़िल-ए-पस्ती से गुज़र जाना था

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ये तो क्या कहिए चला था मैं कहाँ से हमदम
मुझको ये भी न था मालूम किधर जाना था

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कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ मुझे भी ख़राब होना था

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बर्बाद-ए-तमन्ना पे इताब और ज़ियादा,
हाँ मेरी मुहब्बत का जवाब और ज़ियादा

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अख़बार शायरी

उट्ठेंगे अभी और भी तूफ़ाँ मिरे दिल से
देखूँगा अभी इश्क़ के ख़्वाब और ज़ियादा

~ Majaz Ke Best Sher
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी
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