Raksha Bandhan Shayari
किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा
मुनव्वर राना
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बहनों की मोहब्बत की है अज़्मत की अलामत
राखी का है त्यौहार मोहब्बत की अलामत
मुस्तफ़ा अकबर
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आस्था का रंग आ जाए अगर माहौल में
एक राखी ज़िंदगी का रुख़ बदल सकती है आज
इमाम आज़म
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बहन का प्यार जुदाई से कम नहीं होता
अगर वो दूर भी जाए तो ग़म नहीं होता
अज्ञात
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गुलशन से कोई फूल मयस्सर न जब हुआ
तितली ने राखी बाँध दी काँटे की नोक पर
अज्ञात
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राखियाँ ले के सिलोनों की बरहमन निकलें
तार बारिश का तो टूटे कोई साअत कोई पल
मोहसिन काकोरवी
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बहन की इल्तिजा माँ की मुहब्बत साथ चलती है
वफ़ा-ए-दोस्ताँ बहर-ए-मशक़्कत साथ चलती है
सय्यद ज़मीर जाफ़री
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या रब मिरी दुआओं में इतना असर रहे
फूलों भरा सदा मिरी बहना का घर रहे
अज्ञात
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ज़िंदगी भर की हिफ़ाज़त की क़सम खाते हुए
भाई के हाथ पे इक बहन ने राखी बाँधी
अज्ञात
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दकनी शायर: बीजापुर और गोलकुंडा के दरबार की शायरी
सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए बेहतरीन शेर…
Raksha Bandhan Shayari