Chaand Shayari Ishq ab meri jaan hai goya - Jaleel Manikpuri

Friendship Shayari ~

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उनको कभी अपने घर को देखते हैं

~ मिर्ज़ा ग़ालिब

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ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त मान लेते हैं

दाग़ देहलवी

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दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से

हफ़ीज़ होशियारपुरी

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दोस्ती को बुरा समझते हैं
क्या समझ है वो क्या समझते हैं

नूह नारवी

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शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ

वसीम बरेलवी

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मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए

शाज़ तमकनत

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आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं

जिगर मुरादाबादी

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वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है

नासिर काज़मी

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मुद्दत के ब’अद आज उसे देख कर ‘मुनीर’
इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया

मुनीर नियाज़ी

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अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो

मुनव्वर राना

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जान-पहचान से भी क्या होगा
फिर भी ऐ दोस्त ग़ौर कर शायद

अहमद फ़राज़

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दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या
ज़ख़्म के भरते तलक नाख़ुन न बढ़ जावेंगे क्या

मिर्ज़ा ग़ालिब

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~ Friendship Shayari

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