शकील बदायूँनी के बेहतरीन शेर
Shakeel Badayuni Shayari नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Shakeel Badayuni Shayari नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं…
Munir Niazi Shayari ~ 1. शहर की गलियों में गहरी तीरगी गिर्यां रही रात बादल इस तरह आए कि मैं…
Breakup shayari ~ वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो वही या’नी…