फ़िल्मों में आए शेर…

Dard Bhari Shayari Best Urdu Ghazals Bewafai Shayari

Film Shayari हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले मिर्ज़ा ग़ालिब _________ सुब्ह होती है शाम होती है उम्र यूँही तमाम होती है मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम *फ़िल्म पाकीज़ा में इस शेर का इस्तेमाल किया गया है। ___ ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या … Read more