हकीम मोमिन ख़ाँ ‘मोमिन’

Momin Khan Momin

Momin Khan Momin हकीम मोमिन ख़ाँ ‘मोमिन’- उर्दू काव्य में ‘मोमिन’ का एक विशेष महत्त्व है। उनका क्षेल मुख्यतः प्रेम-व्यापार होते हुए भी उन्होंने वर्णन में जो तड़प पैदा की, वह उन्हीं का हिस्सा थी। वर्णन-सौन्दर्य की तारीफ़ यह है कि वे अभिव्यक्ति की मौलिकता और भावपक्ष की प्रबलता दोनों के लिए प्रसिद्ध हो गये … Read more

मोमिन की ग़ज़ल- “तुम मिरे पास होते हो गोया, जब कोई दूसरा नहीं होता”

Momin ki shayari Urdu Shabd Gham Gam हिन्दी व्याकरण वाला वाली द वाले शब्द

Momin ki shayari असर उसको ज़रा नहीं होता रंज राहत-फ़ज़ा नहीं होता बेवफ़ा कहने की शिकायत है तो भी वादा-वफ़ा नहीं होता तुम हमारे किसी तरह न हुए वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता उसने क्या जाने क्या किया ले कर दिल किसी काम का नहीं होता Momin ki shayari इम्तिहाँ कीजिए मिरा जब तक … Read more