‘आपका बंटी’- मन्नू भंडारी (समीक्षा)

Aapka Bunty Review

Aapka Bunty Review ~ “बस चली तो सबके बीच हँसते-बतियाते उसे ऐसा लगा जैसे सारे दिन ख़ूब सारी पढ़ाई करके घर की ओर लौट रहा है; तभी ख़याल आया- “धत्त वो तो स्कूल जा रहा है” इस एक वाक्य में बंटी के मन की मनस्थिति ज़ाहिर हो जाती है। जब आपको घर से ज़्यादा, बाहर आनंद … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा- जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘अघोरी का मोह’ का पहला भाग

wo humsafar tha वो हम-सफ़र था मगर उससे हम-नवाई न थी Urdu ke Mushkil Lafz Akhtar Ul Iman Shayari Majaz Shayari Famous Barish Shayari Barsaat Shayari Baarish Shayari Hindi Kahani Arghwan Rabbhi Urdu Lafz Aghori Ka Moh Acaharya Ram Chandra Shukl Ki Kahani Gyaarah Varsh Ka Samay Jigar aur dil ko bachana

अघोरी का मोह (Aghori Ka Moh) (जयशंकर प्रसाद) भाग-1 “आज तो भैया, मूँग की बरफी खाने को जी नहीं चाहता, यह साग तो बड़ा ही चटकीला है। मैं तो….” “नहीं-नहीं जगन्नाथ, उसे दो बरफी तो ज़रूर ही दे दो।” “न-न-न। क्या करते हो, मैं गंगा जी में फेंक दूँगा।” “लो, तब मैं तुम्हीं को उलटे … Read more

तुझसे अब और मुहब्बत नहीं की जा सकती

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Noshi Gilani Shayari तुझसे अब और मुहब्बत नहीं की जा सकती, ख़ुद को इतनी भी अज़ीयत नहीं दी जा सकती हब्स का शहर है और उसमें किसी भी सूरत, साँस लेने की सहूलत नहीं दी जा सकती रौशनी के लिए दरवाज़ा खुला रखना है, शब से अब कोई इजाज़त नहीं ली जा सकती इश्क़ ने … Read more