Learn Urdu Poetry Hindi वज़्न की बातें सिरीज़ में हमने इसके पहले आपको बताया था कि किस तरह से कुछ शब्दों का वज़्न होता तो 21 है लेकिन कुछ लोग 12 ले लेते हैं. इसमें हमने जो शब्द बताये थे वो ऐसे थे जिसमें कुल तीन अक्षर थे और बीच का अक्षर “ह” था और आख़िर का “र”, जैसे शहर, क़हर इत्यादि. आज हम कुछ और ऐसे अलफ़ाज़ बताएँगे जो तीन हर्फ़ी हैं और इनका वज़्न 21 होता है लेकिन कुछ लोग 12 ले लेते हैं.
शा’इरी की बातें
वज़्न करने का तरीक़ा (5)
Urdu Shayari Wazn Hindi : वज़्न की बातें सिरीज़ में हमने आपको पहले ही बताया है कि कोई भी शेर तब तक शेर नहीं हो सकता जब तक कि उसका वज़्न ठीक न हो. हम जानते हैं कि एक शेर के दोनों मिसरों का वज़्न एक ही होना चाहिए, अगर ये अलग होता है तो … Read more
वज़्न करने का तरीक़ा (4)
Urdu Mein Shabdon ka prayog: आम बोलचाल की भाषा में और लिखने में भी हमने देखा है कि हम ‘मेरे’,’तेरे’,’एक’ इत्यादि अलफ़ाज़ का इस्तेमाल करते हैं लेकिन शा’इरी में हम देखते हैं कि कभी-कभी इन्हीं अलफ़ाज़ को ‘मिरे’,’तिरे’,’इक’ क्रमशः पढ़ा जाता है. ‘शाइरी की बातें‘ सीरीज़ में हमने आपको वज़्न के बारे में कुछ बातें … Read more
वज़्न करने का तरीक़ा (2)
Urdu Shayari Mein Wazn तीन अक्षर वाले शब्दों का वज़्न
जैसा कि हमने पहले की पोस्ट में बताया है कि किसी भी अक्षर या अक्षर के जोड़े का वज़्न 1 या 2 ही लिया जाएगा, ऐसे में जब शब्द तीन अक्षर का होता है तो उसको हमें दो हिस्सों में करना होता है. आइये समझने की कोशिश करते हैं-
12 वज़्न वाले शब्द
तीन अक्षर वाले ऐसे शब्द जिनके तीनों अक्षर पूरे होते हैं और बाद के दोनों अक्षर मिलकर एक जोड़ा बना लेते हैं और पहला अक्षर अकेला रहता है. जैसे मगर, ‘मगर’ का वज़्न 12 लिया जाता है. एक बार ‘मगर’ को बोल कर देखें..’मग’ और ‘र’ अलग करेंगे तो अजीब लगेगा लेकिन ‘म’ और ‘गर’ करेंगे तो नहीं लगेगा,यहाँ ‘गर’ एक अच्छा जोड़ा बनाता नज़र आ रहा है. यही वजह है कि इसका वज़्न 12 लिया जाता है. 12 वज़्न वाले कुछ शब्द: नगर, डगर, मगर, अगर, क़दर, जलन, सहर, जिगर,गगन, क़सम, सनम, करम, दमन, चलन, अगन, कमल, रजत, मुहर, बदन, कमर, क़मर,अगन, कसक, गजक इत्यादि.
जब तीन अक्षर वाले शब्दों का दूसरा अक्षर आधा हो और आख़िरी अक्षर में ई, ऊ, आ, ए, ऐ, ओ, औ में से कोई एक मात्रा लगी हो और बीच का अक्षर आधा हो-
ऐसे में वज़्न 12 ही होगा क्यूँकि तीसरा अक्षर(जोकि मात्रा के साथ है) और दूसरा अक्षर (जोकि आधा है) साथ पढ़ा जाएगा. जैसे तुम्हीं (तु-1,म्हीं-2), तुम्हें, उन्हें, किन्हीं, किन्हें, जिन्हें,इत्यादि.
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21 वज़्न वाले शब्द
*तीन अक्षर वाले ऐसे शब्द जिनके पहले दो अक्षर मिलकर जोड़ा बना लेते हैं और तीसरा अक्षर अकेला रह जाता है उनका वज़्न 21 लिया जाता है जैसे- मन’अ(मन-2 अ-1), दफ़’अ, नफ़’अ, जम’अ, इत्यादि (इन सभी लफ़्ज़ों को आम बोलचाल में मना, दफ़ा, नफ़ा, जमा पढ़ा जाने लगा जोकि सही नहीं है)
*अगर तीन अक्षर वाले शब्द का बीच वाला अक्षर आधा है तो शब्द का वज़्न 21 लिया जाएगा जैसे ‘जल्द’ (जल्-2, म-1).इसी आधार पर कुछ शब्द:
जिस्म, शम्स, जिल्द, जल्द, इल्म, क़िस्म, रस्म, शर्म, कर्म, धर्म, मर्म,वज़्न,अस्ल, रंग, अंग, दंग, जंग, उन्स,अस्र, इश्क़, मिस्र, रश्क, शब्द, मस्त, एक (उर्दू में जब ‘एक’ लिखते हैं तो ‘अलिफ़’ ‘ये’ और ‘काफ़’ का प्रयोग होता है, इसलिए ये भी तीन अक्षर वाला शब्द ही माना जाएगा लेकिन ‘ये’ की आवाज़ आधी ही है इसलिए इसे इस ग्रुप में रखेंगे), शह्र (शहर),क़ह्र (क़हर),ज़ह्र(ज़हर),बह्र (बहर), मह्र (महर), इत्यादि. Urdu Shayari Mein Wazn
जब तीन अक्षर वाले शब्दों के पहले अक्षर में इ, ई, ऊ, उ, आ, ए, ऐ, ओ, औ में से कोई एक मात्रा लगी हो और बीच का अक्षर आधा हो-
ऐसे में वज़्न 21 ही होगा. वो इसलिए क्यूँकि पहले अक्षर में मात्रा के साथ ही आधा अक्षर भी बोलने में आ जाएगा और आख़िरी अक्षर अकेला रह जाएगा जैसे दोस्त (दोस्-2, त-1). इसी आधार पर कुछ शब्द- कोफ़्त, जिन्स, फ़िक्र, ज़िक्र, इत्यादि.
तीन अक्षर वाले ऐसे शब्द जिनका पहला अक्षर आधा हो
जब तीन अक्षर वाले शब्दों का पहला अक्षर आधा होता है तो वो और उसके बाद वाला अक्षर एक साथ पढ़ने में आ जाते हैं और आख़िरी अक्षर अकेला रह जाता है, तो इनका वज़्न भी 21 होगा. जैसे-स्वर (स्व-2, र-1). अगर बीच के अक्षर में कोई मात्रा तब भी वज़्न 21 ही होगा जैसे स्वाद,(स्वा-2, द-1), प्यार इत्यादि. इसकी वजह ये है कि ये उच्चारण के समय एक प्रकार का जोड़ा बना लेते हैं.
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22 वज़्न वाले शब्द
अगर तीन अक्षर का शब्द है और दूसरे तथा तीसरे अक्षर में कोई मात्रा नहीं है लेकिन पहले अक्षर में ‘ई, ऊ, आ, ए, ऐ, ओ, औ’ में से कोई एक मात्रा है तो इसका वज़्न 22 होगा जैसे आदत (आ-2, दत-2), ठोकर, सोनम, जानम, औरत, मूरत, ठोकर, झेलम, पूनम, राहुल, जीवन, इत्यादि.
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121 वज़्न वाले शब्द
तीन अक्षर के वो शब्द जिनके पहले तथा तीसरे अक्षर में ‘ई, ऊ, आ, ए, ऐ, ओ, औ’ में से कोई मात्रा नहीं होती लेकिन बीच के अक्षर में ‘ई, ऊ, आ, ए, ऐ, ओ, औ’ में से कोई एक मात्रा होती है तो ऐसे शब्दों का वज़्न 121 होगा जैसे मशाल (म-1, शा- 2, ल-1). इसी वज़्न पर कुछ शब्द हैं- किताब (कि-1,ता-2,ब-1),हिसाब, हिजाब,मजाल, अज़ाब, रक़ीब,रदीफ़,चराग़,अजीब, अदीब, बग़ैर, ख़मोश, मिसाल, मिज़ाज, ख़याल, ज़वाल, बवाल, नदीम, हसीन, जमील, क़दीम, जदीद, लिहाफ़, हिजाब,मुराद इत्यादि.
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22 वज़्न वाले शब्द
तीन अक्षर के वो शब्द जिनके पहले तथा दूसरे अक्षर में ‘ई, ऊ, आ, ए, ऐ, ओ, औ’ में से कोई मात्रा नहीं होती लेकिन आख़िरी अक्षर में ‘ई, ऊ, आ, ए, ऐ, ओ, औ’ में से कोई एक मात्रा होती है तो ऐसे शब्दों का वज़्न 22/21 होगा. किसी शब्द के आख़िरी अक्षर में अगर मात्रा आती है तो उसे गिरा कर पढ़ा जा सकता है, गिरा कर पढ़ने पर उस हिस्से का वज़्न 1 माना जाता है (इसी वजह से वज़्न 21 भी हो सकता है). जैसे- झरना (झर-2, ना-2), फिसला (फिस-2, ला- 2), मिटना, मरना, करनी, जननी, जुगनू, चिमनी, दुनिया (इसका उच्चारण दुनया है), इत्यादि.
शायरी सीखें: वज़्न करने का तरीक़ा (1)
Urdu Shayari Meter इसके पहले कि हम आगे की बात करें मिर्ज़ा ग़ालिब के एक शे’र की मदद से वज़्न क्या है ये समझने की कोशिश करते हैं-
बदल कर फ़क़ीरों का हम भेस ‘ग़ालिब’,
तमाशा ए अहले करम देखते हैं
इसका वज़्न करके आपको दिखाते हैं-
ब(1)दल(2)कर(2) फ़(1)क़ी(2)रों(2) का(1)हम(2)भे(2) स(1)ग़ा(2)लिब(2),
त(1)मा(2)शा(2) ए(1)अह(2)ले(2) क(1)रम(2)दे(2) ख(1)ते(2)हैं(2)
अगर नोटिस करें तो पहले मिसरे का वज़्न 122 122 122 122 है और इसी क्रम में यही वज़्न दूसरे मिसरे का भी है. इसी को शे’र का वज़्न में होना कहते हैं.
नामौज़ूंनियत, सुस्त बंदिश, बलाग़त और फ़साहत
Shayari Ki Zaroori Baaten आज हम आपको ‘शाइरी की बातें’ में चार ऐसे बिन्दुओं के बारे में बता रहे हैं जिसको जानना बेहद ज़रूरी है. इन्हें जानकार ही आपकी शा’इरी और बेहतर हो सकती है- नामौज़ूंनियत: नामौज़ूंनियत शब्द का अर्थ है कि किसी शेर का मौज़ूं ना होना. ऐसा माना जाता है कि कोई मिसरा … Read more
नज़्म क्या है?
Nazm Kya Hoti Hai: नज़्म अरबी ज़बान का लफ़्ज़ है जिसका अर्थ होता है ‘पिरोना’,’लड़ी’ या ‘कलाम ए शा’इर’. गुज़िश्ता ज़माने में तो शा’इरी को ही नज़्म कहा जाता था. इसका अर्थ ये हुआ कि किसी भी क़िस्म की शा’इरी नज़्म है लेकिन वक़्त के आगे बढ़ने के साथ नज़्म अपने आप में एक क़िस्म के रूप में विकसित हुई. आज उर्दू शा’इरी की दो जो बड़ी क़िस्में हैं उनमें से एक ग़ज़ल है और दूसरी नज़्म.
ग़ज़ल क्या है?
(Ghazal Kya hai) हमने इसके पहले आपको ‘शाइरी क्या है?’ इस बारे में बताया था. आज से हम शाइरी की अलग-अलग क़िस्मों के बारे में बात करेंगे. सबसे पहले बात करते हैं ग़ज़ल की. ग़ज़ल: एक ही ज़मीन में कहे गए अश’आर(शेर का बहुवचन) के समूह को ग़ज़ल कहते हैं. जैसा कि इसके पहले की … Read more
ग़ज़ल में मक़ता क्या होता है?
मक़ता: ग़ज़ल का आख़िरी शे’र मक़ता कहलाता है.अक्सर इसमें शा’इर अपने तख़ल्लुस (pen name) का इस्तेमाल करता है. Ghazal Shayari Maqta तख़ल्लुस: शा’इर जिस नाम से शा’इरी करता है उसे तख़ल्लुस कहते हैं जैसे रघुपति सहाय गोरखपुरी का तख़ल्लुस ‘फ़िराक़’ है जिन्हें हम ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी के नाम से जानते हैं. मुहम्मद अल्वी की इस ग़ज़ल … Read more
शायरी सीखें: ग़ज़ल का मतला क्या होता है?
Ghazal ka Matla मत’ला: ग़ज़ल या क़सीदे का वो शे’र जिसके दोनों मिसरों में रदीफ़ और क़ाफ़िये का इस्तेमाल होता है उसे मत’ला कहते हैं. अक्सर को ग़ज़ल का पहला शे’र मत’ला होता है लेकिन एक ग़ज़ल में एक से अधिक मत’ले भी हो सकते हैं, इसको लेकर कोई पाबंदी नहीं है. एक बात और … Read more