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ननकू के क़िस्से

ननकू पिकनिक पर आया है माँ, नानी, डॉली मौसी, विक्की, विन्नी, नैंसी, नैंसी की मम्मी और रसगुल्ला के साथ। नदी पार करके नाव से उतरते ही सारे बच्चे रेत में दौड़ गए। बड़े धीरे-धीरे सामान लेकर आने लगे..ननकू ने देखा कि वहाँ किनारे पर बड़ी- बड़ी छतरियाँ लगी हैं जिसके नीचे की लोग बैठे हैं और ऐसे ही पिकनिक मना रहे हैं। वहीं पास में चुस्की, गोला और लेमन जूस का ठेले वाला भी खड़ा था। साथ में तरबूज़ का ठेला भी लगा था..माँ और बाक़ी सब भी एक छतरी के नीचे दरी बिछाने लगे और ननकू को ये जगह बहुत प्यारी लग़ रही थी। एक तरफ़ ये ढेर सारी छतरियाँ जिनके नीचे सबकी अपनी-अपनी पिकनिक चल रही थी..दूसरी ओर नदी और उसके किनारे खड़ी नाव..और उस पर ये सब ठेले वाले। बच्चे रेत में घर बनाने वाले थे कि डॉली मौसी आ गयीं

“अरे…अरे ये तुम लोग रेत बाद में खेलना पहले थोड़ा-थोड़ा कुछ खा लो फिर खेलने आना..चलो..चलो”- वो बच्चों को बोलीं। बच्चों का मुँह उतर गया लेकिन उन्हें पता था एक बार खा लें तो फिर आराम से खेलने मिलेगा। सभी डॉली मौसी के साथ चले छतरी की ओर..ननकू और रसगुल्ला के लिए तो ये एक नया अनुभव था। वो भी सबके पीछे चल दिए। छतरी के नीचे बैठते ही अलग-अलग डिब्बे खुलने लगे..पुरी, आलू की सब्ज़ी, पुलाव, गुलाबजामुन निकले..डॉली मौसी, माँ और नैंसी की मम्मी ने सभी बच्चों को खाना देना शुरू किया और सब बैठकर आराम से खाने लगे। जैसे ही खाना ख़त्म हुआ डॉली मौसी ने सभी को खट्टे आम का शरबत गिलास में पकड़ा दिया। रसगुल्ला ने शरबत पीकर ऐसा मुँह बनाया कि सब हँसने लगे..माँ ने उसे गुलाबजामुन खिलाया तब जाकर रसगुल्ला का मुँह बनना बंद हुआ। अब बच्चे खेलने के लिए तैयार थे और बड़े आराम से लेटकर बातें करने के लिए..

सभी बच्चे खेलने के लिए गए…विक्की, विन्नी के साथ ही ननकू बढ़ा जा रहा था कि रसगुल्ला की आवाज़ सुनकर रुक गया..रसगुल्ला नैंसी की गोद में था ननकू रुका और रसगुल्ला को अपनी गोद में लेने लगा। विक्की और विन्नी दूर पहुँच चुके थे..रसगुल्ला गोद से उतर के नीचे आ गया। उसे रेत में दौड़ना था।

“ननकू…नैंसी..जल्दी आओ”- विक्की ने आवाज़ लगायी

“चलो जल्दी…”- नैंसी ननकू का हाथ पकड़ के दौड़ती हुई बोली..रसगुल्ला भी साथ में दौड़ने लगा

“क्या बना रहे हैं?”- ननकू वहाँ पहुँचकर पूछा

“घर बना रहे हैं..भैया तो बहुत बड़ा घर बनाता है”- विन्नी चहकती हुई बोली

“हम पेड़ भी लगाएँगे घर के सामने..” नैंसी ने कहा

ननकू तो आँखें बड़ी किए- किए ये सब देख रहा था, विक्की और विन्नी ने मिलकर एक घर तो बना ही लिया था। उसे देखते ही ननकू बहुत ख़ुश हुआ और पास से देखने के लिए बैठा..इतने में रसगुल्ला दौड़ता हुआ आया और लुढ़क के सीधे गिरा विक्की और विन्नी के घर के ऊपर…घर पूरा टूट गया..रसगुल्ला तुरंत डर के ननकू के पीछे छुप गया लेकिन विक्की और विन्नी ने उसे नहीं डाँटा

“रसगुल्ला..तूने घर क्यों तोड़ा?” ननकू ने नाराज़ होते हुए कहा। रसगुल्ला ने अपना मुँह नीचे किया कि ननकू को भी डाँटने पर बुरा लगा ननकू उसे गले से लगा लिया। रसगुल्ला उसे चाटने लगा। ये देखकर नैंसी बोली

“हम रसगुल्ला के लिए घर बनाते हैं..? क्या बोलते हो”

“वाह..रसगुल्ला का घर..”- ननकू ख़ुश हो गया और उसने रसगुल्ला को गोद में लेकर कहा “रसगुल्ला..विक्की भैया तेरे लिए घर बना रहे हैं”- रसगुल्ला भी कूदने लगा। सब उसे देखकर हँसने लगे।

सब उसका घर बनाने में लग गए। विक्की और विन्नी तो घर बनाने वाले थे..रसगुल्ला को गड्ढा खोदना था और ज़्यादा उछलकूद नहीं करनी थी, इसके लिए वो चुपचाप बैठा था। नैंसी और ननकू ने घर के बाहर सड़क बनाकर पेड़ लगाने का ज़िम्मा लिया वो दोनों घर को सजाने वाले थे।

नैंसी और ननकू पेड़ की छोटी डाल ढूँढने निकले..रसगुल्ला तो विक्की और विन्नी के पास बैठे-बैठे बोर होकर सो गया था। ननकू और नैंसी पास से डंडियाँ ला- लाकर घर के आसपास घेरा बना रहे थे। सारे बच्चे बहुत मन से घर बनाने में जुटे थे। तभी माँ ने सभी को आवाज़ लगायी

“बच्चों आ जाओ शरबत पी लो और कुछ खा लो”- बच्चे तो खोए हुए थे कि उन्हें लेने आयीं डॉली मौसी

“विक्की..विन्नी..चलो शरबत पीने..”- पास में सोए रसगुल्ला को गोद में उठाकर डॉली मौसी बोलीं- “ये बच्चा तो यहाँ सो गया”- रसगुल्ला ने आलस से आँख खोली और डॉली मौसी को देखकर फिर सो गया।

“ननकू और नैंसी कहाँ हैं?”- डॉली मौसी के ये पूछने पर विक्की और विन्नी बोले

“वो दोनों घर सजाने के लिए पेड़ लेने गए हैं..यहीं पर तो थे”- दोनों देखने लगे लेकिन नैंसी और ननकू तो आसपास थे ही नहीं। डॉली मौसी विक्की की गोद में रसगुल्ला देती हुई बोलीं “इसको लेकर जाओ तुम दोनों मैं उन दोनों को बुलाकर लाती हूँ”

विक्की, विन्नी और रसगुल्ला शरबत पीकर कुछ खा रहे थे। माँ और बाक़ी बड़े भी खाने और बातों में थे कि तभी घबरायी हुई डॉली मौसी आयी और बोलीं
“सुमन दीदी..ननकू नहीं मिल रहा..राधिका जी नैंसी भी नहीं मिल रही…”

“क्या…कहाँ गए बच्चे?”- नानी, माँ और नैंसी की मम्मी राधिका एक साथ बोल पड़े

“मुझे नहीं मिले..लगता है बच्चे खो गए हैं”

(ओह्हो…ननकू पहली बार पिकनिक पर आया और पहली ही बार उसने नदी का किनारा देखा..अब तो वो खो गया। ननकू और नैंसी दोनों कहाँ चले गए..रसगुल्ला भी ननकू के साथ नहीं है..अब उन्हें सब कहाँ ढूँढेंगे..कितना छोटा है ननकू..हमें पता है कि आपको भी चिंता हो रही है। अब हम भी ननकू को ढूँढने निकलते हैं..वो जल्दी मिल जाएगा..पता नहीं कहाँ खो गया)

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