Train Shayari
सुब्ह-ए-काज़िब की हवा में दर्द था कितना ‘मुनीर’
रेल की सीटी बजी तो दिल लहू से भर गया
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
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गाड़ी आती है लेकिन आती ही नहीं
रेल की पटरी देख के थक जाता हूँ मैं
मुहम्मद अल्वी (Muhammad Alvi)
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रेल देखी है कभी सीने पे चलने वाली
याद तो होंगे तुझे हाथ हिलाते हुए हम
नोमान शौक़ (Nomaan Shauq)
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उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें (रदीफ़ और क़ाफ़िए की जानकारी के साथ)
उस एक छोटे से क़स्बे पे रेल ठहरी नहीं
वहाँ भी चंद मुसाफ़िर उतरने वाले थे
जमाल एहसानी (Jamaal Ehsani)
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जाने किस की आस लगी है जाने किस को आना है
कोई रेल की सीटी सुन कर सोते से उठ जाता है
साबिर वसीम (Sabir Waseem)
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तहज़ीब हाफ़ी के बेहतरीन शेर
अभी रेल के सफ़र में हैं बहुत निहाल दोनों
कहीं रोग बन न जाए यही साथ दो घड़ी का
ऐतबार साजिद (Aitbaar Sajid)
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महसूस हो रहा है कि मैं ख़ुद सफ़र में हूँ
जिस दिन से रेल पर मैं तुझे छोड़ने गया
कैफ़ अहमद सिद्दीकी (Kaif Ahmed Siddiqui)
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इक दनदनाती रेल सी उम्रें गुज़र गईं
दो पटरियों के बीच वही फ़ासले रहे
मुहम्मद असदुल्लाह (Muhammad Asadullah)
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प्रेरणादायक शायरी
फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं
वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं
मुनव्वर राना (Munawwar Rana)
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तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
दुष्यंत कुमार (Dushyant Kumar)
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हटो काँधे से आँसू पोंछ डालो वो देखो रेल-गाड़ी आ रही है
मैं तुमको छोड़ कर हरगिज़ न जाता ग़रीबी मुझको ले कर जा रही है
अज्ञात (Unknown)
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दिल टूटने पर शेर..
बिछड़ के भी वो मिरे साथ ही रहा हर दम
सफ़र के बा’द भी मैं रेल में सवार रहा
शकील आज़मी (Shakeel Azmi)
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आते हैं जैसे जैसे बिछड़ने के दिन क़रीब
लगता है जैसे रेल से कटने लगा हूँ मैं
मुनव्वर राना (Munawwar Rana)
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रेल की गहरी सीटी सुन कर
रात का जंगल गूँजा होगा
नासिर काज़मी (Nasir Kazmi)
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इक तेज़ तीर था कि लगा और निकल गया
मारी जो चीख़ रेल ने जंगल दहल गया
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
Train Shayari
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी
उर्दू के पहले शा’इर: वली, दाऊद और सिराज