Aisa Ho Sakta Hai Tum Aa Jao
ऐसा हो सकता है तुम आ जाओ
इस नयी रात की ख़मोशी में,
इक जवाँ ख्व़ाब मचलता होगा,
तुम किसी बात पे रूठी होगी,
दिल किसी बात पे चलता होगा
तुम बहुत दूर हो मुझसे लेकिन,
ऐसा लगता है कि ये मुमकिन है,
तुम अभी ख्व़ाब की दीवारों को
फाँद कर मेरे यहाँ आ जाओ
ऐसा लगता है कि मैं खो जाऊं
ऐसा लगता है कि तुम हो जाऊं
ये बहुत सादा कहानी है मेरे ख़्वाबों की
शाम के साथ निकलते हुए दमसाज़ों की
उंगलियाँ थाम के चलने को ज़माना कम है,
तू मिरे पास जो बैठेगी तो ज़्यादा, कम है
क्या ये मुमकिन है मुहब्बत के लिए,
तुम कोई ख्व़ाब बचाओ यूँ भी,
सेक्टर इक्कीस की तन्हाई में,
तुम मुझे हाथ लगाओ यूँ भी
ये कोई बात नहीं है लेकिन….
ऐसा हो सकता है तुम आ जाओ….
~
अरग़वान रब्बही
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