Best Urdu Shayari
1.
वो बेदर्दी से सर काटें ‘अमीर’ और मैं कहूँ उनसे,
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता
अमीर मीनाई (Ameer Minai)
2.
चुप-चाप सुनती रहती है पहरों शब-ए-फ़िराक़
तस्वीर-ए-यार को है मिरी गुफ़्तुगू पसंद
दाग़ देहलवी (Daagh Dehlvi)
3.
आदतन तुमने कर दिए वादे
आदतन हमने ए’तिबार किया
गुलज़ार (Gulzar)
4.
सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन की,
वर्ना ये फ़क़त आग बुझाने के लिए हैं
जाँ निसार अख़्तर (Jaan Nisar Akhtar)
5.
मैं अपने ख़ूँ से जलाऊँगा रहगुज़र के चराग़,
ये कहकशाँ ये सितारे मुझे क़ुबूल नहीं
शकेब जलाली (Shakeb Jalali)
6.
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है,
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
शकील बदायूँनी (Shakeel Budayuni)
7.
होगा किसी दीवार के साए में पड़ा ‘मीर’
क्या काम मोहब्बत से उस आराम-तलब को
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
8.
बिखेर दे मुझे चारों तरफ़ ख़लाओं में
कुछ इस तरह से अलग कर कि जुड़ न पाऊँ मैं
मुहम्मद अल्वी (Muhammad Alvi)
9.
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
हसरत मोहानी (Hasrat Mohani)
जावेद अख़्तर के बेहतरीन शेर…
10.
इक बार जिसे चाट गई धूप की ख़्वाहिश,
फिर शाख़ पे उस फूल को खिलते नहीं देखा
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
Best Urdu Shayari
11.
आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से,
इतनी बारिश एक शोले को बुझाने के लिए
ज़फ़र गोरखपुरी (Zafar Gorakhpuri)
12.
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
13.
कहते हैं ज़ौक़ आज यहाँ से गुज़र गया,
क्या ख़ूब आदमी था ख़ुदा मग़फ़रत करे
ज़ौक़ (Zauq)
14.
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बन्दे से ख़ुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है
इक़बाल (Iqbal)
15.
मुझे सुने ना कोई मस्त-ए-बादा-ए-इशरत
मजाज़ टूटे हुए दिल की इक सदा हूँ मैं
मजाज़ (Majaz)
ख़ुद्दारी पर बेहतरीन शेर…
16.
आँसूओं में हिज्र में बरसात रखिए साल भर,
हमको गर्मी चाहिए हरगिज़ ना जाड़ा चाहिए
नासिख़ (Nasikh)
17.
इक लफ़्ज़ ए मुहब्बत का अदना ये फ़साना है,
सिमटे तो दिल ए आशिक़ फैले तो ज़माना है
जिगर मुरादाबादी (Jigar Moradabadi)
18.
मैं और ज़ौक़ ए बादाकशी ले गयी मुझे,
ये कम निगाहियाँ तेरी बज़्म ए शराब में
मुफ़्ती सदरुद्दीन ख़ाँ “आज़ुर्दा” (Azurda)
19.
मेरी बातों से कुछ सबक़ भी ले,
मेरी बातों का कुछ बुरा भी मान
राहत इन्दौरी (Rahat Indori)
20.
किसे ख़बर थी हमें राहबर ही लूटेंगे,
बड़े ख़ुलूस से हम कारवाँ के साथ रहे
हबीब जालिब (Habib Jalib)
अहमद फ़राज़ के बेहतरीन शेर…
21.
चाहिए उसका तसव्वुर ही से नक़्शा खींचना
देख कर तस्वीर को तस्वीर फिर खींची तो क्या
बहादुर शाह “ज़फ़र” (Bahadur Shah Zafar)
22.
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ
शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
23.
ख़ुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा
जिसे नफ़रत है उसके आदमी से
नरेश कुमार “शाद” (Naresh Kumar Shad)
24.
ये रौशनी तिरे कमरे में ख़ुद नहीं आई
शम्अ का जिस्म पिघलने के बाद आई है
इंदिरा वर्मा (Indira Verma)
25.
अजनबी जान के क्या नाम-ओ-निशाँ पूछते हो
भाई हम भी उसी बस्ती के निकाले हुए हैं
इरफ़ान सिद्दीक़ी (Irfan Siddiqui)
26.
बहुत सँभल के चलने वाली थी पर अब के बार तो,
वो गुल खिले कि शोख़ी-ए-सबा ही और हो गई
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
27.
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं,
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे
जौन एलिया (Jaun Eliya)
28.
दिल लगा हो तो जी जहाँ से उट्ठा,
मौत का नाम प्यार का है इश्क़
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
29.
आपका साथ साथ फूलों का,
आपकी बात बात फूलों की
मख़दूम मुहीउद्दीन (Makhdoom Muhiuddin)
30.
आज तक अपनी बेकली का सबब,
ख़ुद भी जाना नहीं कि तुझ से कहें
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
उस्तादों के उस्ताद शायरों के 400 शेर…
31.
उस बिन जहान कुछ नज़र आता है और ही,
गोया वो आसमाँ नहीं, वह ज़मीं नहीं
जुर’अत (Jur’at)
32.
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक,
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक
मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib)
33.
दर्दे दिल, पासे वफ़ा, जज़्बए ईमाँ होना,
आदमीयत है यही और यही इंसाँ होना
बृज नारायण ‘चकबस्त’ (Brij Narayan Chakbast)
34.
इस छेड़ में कोई जो ना मरता है तो मर जाए,
वादा है कहीं और, इरादा है कहीं और
नज़्म तबातबाई (Nazm Tabatbai)
35.
दिन हो कि रात एक मुलाक़ात की है बात,
इतनी सी बात भी ना बन आए तो क्या करूँ
हफ़ीज़ जालंधरी (Hafeez Jallundhary)
36.
कोई आया तिरी झलक देखी
कोई बोला सुनी तिरी आवाज़
जोश मलीहाबादी (Josh Malihabadi)
37.
‘अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है
अख़्तर होशियारपुरी (Akhtar Hoshiyarpuri)
38.
इक दिन की बात हो तो उसे भूल जाएँ हम
नाज़िल हों दिल पे रोज़ बलाएँ तो क्या करें
अख़्तर शीरानी (Akhtar Shirani)
39.
आज जलसे हैं बहुत शहर में लीडर कम हैं,
एहतियातन मुझे तक़रीर रटा दी जाए
दिलावर फ़िगार (Dilawar Figar)
40.
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
फ़ैज़ अहमद “फ़ैज़” (Faiz Ahmed Faiz)
सर्दी पर बेहतरीन शेर…
41. Top Urdu Shayari
दोनों जहान देके वो समझे यह ख़ुश रहा
याँ आ पड़ी यह शर्म कि तकरार क्या करें
मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib)
42.
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
ओबैदुल्लाह अलीम (Obaidullah Aleem)
43.
ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना
ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते
अख़्तर शीरानी (Akhtar Shirani)
44.
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
असरार उल हक़ “मजाज़” (Asrar Ul Haq Majaz)
45.
अदब ता’लीम का जौहर है ज़ेवर है जवानी का
वही शागिर्द हैं जो ख़िदमत-ए-उस्ताद करते हैं
बृज नारायण “चकबस्त” (Chakbast)
46.
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
47.
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
राहत इन्दौरी (Rahat Indori)
48.
जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया
निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)
49.
अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया
कि एक उम्र चले और घर नहीं आया
इफ़्तिख़ार आरिफ़ (Iftikhar Arif)
50.
हमने दिल दे भी दिया अहद ए वफ़ा ले भी लिया,
आप अब शौक़ से दे लें जो सज़ा देते हैं
साहिर लुधियानवी (Sahir)
(Top Urdu Shayari)
51.
एक हम ही तो नहीं हैं जो उठाते हैं सवाल
जितने हैं ख़ाक-बसर शहर के सब पूछते हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़ (Iftikhar Arif)
मुहम्मद रफ़ी साहब द्वारा गायी गई ग़ज़लें…
52.
कोई तुम सा भी काश तुम को मिले
मुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
53.
गुम रहा हूँ तिरे ख़यालों में
तुझ को आवाज़ उम्र भर दी है
अहमद मुश्ताक़ (Ahmed Mushtaq)
54.
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के,
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
जोश मलीहाबादी (Josh Malihabadi)
55.
अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद
रंगीनियों में डूब गया पैरहन तमाम
हसरत मोहानी (Hasrat Mohani)
(पैरहन- लिबास)
56.
तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली,
चलो बस हो चुका मिलना, ना तुम ख़ाली ना हम ख़ाली
जाफ़र अली “हसरत” (Jafar Ali Hasrat)
57.
मैं ढूँढ रहा हूँ मेरी वो शम्म’अ कहाँ है,
जो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे
बेहज़ाद लखनवी (Behzad Lucknowi)
58.
पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा
लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए
अकबर इलाहाबादी (Akbar Ilahabadi)
(ये मज़ाहिया शे’र है या’नी व्यंग)
59.
कौन अंगड़ाई ले रहा है ‘अदम’
दो जहाँ लड़खड़ाए जाते हैं
अब्दुल हमीद “अदम” (Abdul Hamid Adam)
60.
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
बशीर बद्र (Bashir Badr)
61.
अहबाब को दे रहा हूँ धोका
चेहरे पे ख़ुशी सजा रहा हूँ
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
62.
भोली बातों पे तेरी दिल को यक़ीं,
पहले आता था अब नहीं आता
आरज़ू लखनवी (Arzoo Lucknowi)
63.
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
असरार उल-हक़ मजाज़ (Majaz)
यूनिवर्सिटी छात्रों को पसंद आने वाली शायरी
64.
रात इक उजड़े मकाँ पर जा के जब आवाज़ दी
गूँज उट्ठे बाम-ओ-दर मेरी सदा के सामने
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
65.
और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी
हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं
सलीम कौसर (Saleem Kausar)
66.
आप तो मुँह फेर कर कहते हैं आने के लिए
वस्ल का वादा ज़रा आँखें मिला कर कीजिए
माधव राम जौहर (Madhav Ram Jauhar)
67.
अपना हर अंदाज़ आँखों को तर-ओ-ताज़ा लगा,
कितने दिन के बा’द मुझको आईना अच्छा लगा
ज़हरा निगाह (Zehra Nigah)
68.
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी (Sahir)
69.
अपने क़ातिल की ज़हानत से परेशान हूँ मैं
रोज़ इक मौत नए तर्ज़ की ईजाद करे
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
70.
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझसे क़सम ले लो
अमीर मीनाई (Ameer Minai)
71.
मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई
कैफ़ी आज़मी (Kaifi Azmi)
72.
अब इन हुदूद में लाया है इंतिज़ार मुझे
वो आ भी जाएँ तो आए न ऐतबार मुझे
ख़ुमार बाराबंकवी (Khumar Barabankwi)
73.
आँखों को सब की नींद भी दी ख़्वाब भी दिए
हम को शुमार करती रही दुश्मनों में रात
शहरयार (Shaharyar)
74.
डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
जावेद अख़्तर (Javed Akhtar)
75.
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
जब से चले हैं घर से मुसलसल सफ़र में हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी (Ashufta Changezi)
76.
इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल
दुनिया है चल-चलाव का रस्ता सँभल के चल
बहादुर शाह ‘ज़फ़र’ (Bahadur Shah Zafar)
77.
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र-ए-राएगाँ तो है
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
78.
आज देखा है तुझ को देर के बा’द
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
नासिर काज़मी (Nasir Kazmi)
79.
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मुहब्बत से मुहब्बत का सिला देते हैं
साहिर लुधियानवी (Sahir)
80.
‘मुसहफ़ी’ रात में अफ़्साना-ए-दिल कहता था,
सुन के हम-साए कई बार हँसे और रोए
मुसहफ़ी (Mushafi)
दिल टूटने पर शेर..
81.
ज़िक्र जब छिड़ गया क़यामत का
बात पहुँची तिरी जवानी तक
फ़ानी बदायूँनी (Fani Budayuni)
82.
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
83.
आहटें सुन रहा हूँ यादों की
आज भी अपने इंतिज़ार में गुम
रसा चुग़तई (Rasa Chughtai)
84.
इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
फ़रहत एहसास (Farhat Ehsas)
85.
देखो वो भी हैं जो सब कह सकते थे
देखो उनके मुँह पर ताले अब भी हैं
ज़हरा निगाह (Zehra Nigah)
86.
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib)
87.
आबाद अगर न दिल हो तो बरबाद कीजिए
गुलशन न बन सके तो बयाबाँ बनाइए
जिगर मुरादाबादी (Jigar Moradabadi)
(बयाबाँ – रेगिस्तान)
88.
इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है
अख़्तर शीरानी (Akhtar Shirani)
89.
वो जो लुत्फ़ मुझ पे थे बेशतर वो करम कि था मिरे हाल पर,
मुझे सब है याद ज़रा ज़रा तुम्हें याद हो कि न याद हो
हकीम मोमिन ख़ाँ मोमिन (Hakeem Momin Khan Momin)
(बेशतर- अधिकतर)
नौजवानों को पसन्द आने वाली शायरी
90.
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Faiz Ahmed Faiz)
91.
मुट्ठियों में ख़ाक लेकर दोस्त आये बाद-ए-दफ़्न
ज़िन्दगी भर की मुहब्बत का सिला देने लगे
मिर्ज़ा ज़ाकिर हुसैन ‘साक़िब’ क़िज़िलबाश (Mirza Zakir Husain Saqib Qazalbash)
92.
क्या ग़ज़ब है कि नहीं इन्साँ को इंसान की क़द्र,
हर फ़रिश्ते को ये हसरत है कि इंसाँ होता
दाग़ दहेलवी (Daagh Dehelvi)
93.
यही मत समझना तुम्हीं ज़िन्दगी हो,
बहुत दिन अकेले भी हमने गुज़ारे
ज़हरा निगाह (Zehra Nigah)
94.
मुसीबत और लम्बी ज़िन्दगानी,
बुजुर्गों की दु’आ ने मार डाला
मुज़्तर खै़राबादी (Muztar Khairabadi)
95.
वही ये शहर है तो शहर वालों,
कहाँ हैं कूचा-ओ-दीवार मेरे
महशर बदायूँनी (Mahshar Budayuni)
96.
जी तो करता नहीं कूचे से तेरे जाने को,
गर तेरी इसमें ख़ुशी है तो चला जाता हूँ
हिदायत उल्लाह ख़ाँ “हिदायत” (Hidayat Ullah Khan Hidayat)
97.
माना कि इस ज़मीं को ना गुलज़ार कर सके,
कुछ ख़ार कम तो कर गए, गुज़रे जिधर से हम
साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
फ़िल्मों में आये फ़ेमस शेर
98.
ना अब हवा मिरे सीने में सनसनाने की,
ना कोई ज़हर मिरी रूह में उतरने का
राजेन्द्र मनचंदा “बानी” (Rajendra Manchanda Bani)
99.
ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब,
ऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होता
अख़्तर शीरानी (Akhtar Shirani)
100.
देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे,
इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे
ज़फ़र गोरखपुरी (Zafar Gorakhpuri)
फूल पर शायरी
__________________________
101.
उस एक कच्ची सी उम्र वाली के फ़लसफ़े को कोई न समझा
जब उस के कमरे से लाश निकली ख़ुतूत निकले तो लोग समझे
अहमद सलमान
102.
वो ख़्वाब थे ही चँबेलियों से सो सब ने हाकिम की कर ली बै’अत
फिर इक चँबेली की ओट में से जो साँप निकले तो लोग समझे
अहमद सलमान
103.
वो गाँव का इक ज़ईफ़ दहक़ाँ सड़क के बनने पे क्यूँ ख़फ़ा था
जब उनके बच्चे जो शहर जाकर कभी न लौटे तो लोग समझे
अहमद सलमान
104.
मैं हूँ भी तो लगता है कि जैसे मैं नहीं हूँ
तुम हो भी नहीं और ये लगता है कि तुम हो
अहमद सलमान
105.
न जाने किस की हमें उम्र भर तलाश रही
जिसे क़रीब से देखा वो दूसरा निकला
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
106.
वक़्त के साथ बदलना तो बहुत आसाँ था
मुझसे हर वक़्त मुख़ातिब रही ग़ैरत मेरी
अमीर क़ज़लबाश
107.
जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा
समझौता कोई ख़्वाब के बदले नहीं होगा
शहरयार
108.
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं
इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं
वसीम बरेलवी
109.
ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए
निदा फ़ाज़ली
110.
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
साहिर लुधियानवी
111.
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
साहिर लुधियानवी
112.
कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू
जो मेरी रात थी वो आपका सवेरा है
मीना कुमारी नाज़
113.
ज़ब्त करना अगर नहीं आता, ग़म ज़माने की जान ले लेते,
सारी दुनिया हमारी दुश्मन थी, हम ज़माने की जान ले लेते
अरग़वान रब्बही
114.
दिन के सूरज सा उबलता ही चला जाता है
इश्क़ होता है तो होता ही चला जाता है
अरग़वान रब्बही
115.
वक़्त ठहरा हुआ मुक़द्दर है,
चल रहा है तो चल रहा हूँ मैं
अरग़वान रब्बही
116.
इस तरह भी नहीं कि मैं तुझसे,
मिल न पाऊँ तो ख़ुदकुशी कर लूँ
अरग़वान रब्बही
117.
किसी दरख़्त से वहशत की बात तुम करना,
मैं मर गया तो मुहब्बत की बात तुम करना
अरग़वान रब्बही
118.
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं
जौन एलिया
119.
सूरज सितारे चाँद मिरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे
राहत इंदौरी
120.
उदासी शाम तन्हाई कसक यादों की बेचैनी
मुझे सब सौंप कर सूरज उतर जाता है पानी में
अलीना इतरत
121.
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
122.
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
123.
यक़ीन चाँद पे सूरज में ए’तिबार भी रख
मगर निगाह में थोड़ा सा इंतिज़ार भी रख
निदा फ़ाज़ली
124.
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा
परवीन शाकिर
125.
घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियाँ
छतों पर खिले फूल बरसात के
मुनीर नियाज़ी
126.
जवान गेहूँ के खेतों को देख कर रो दें
वो लड़कियाँ कि जिन्हें भूल बैठीं माएँ भी
किश्वर नाहीद
127.
बंद होती किताबों में उड़ती हुई तितलियाँ डाल दीं
किसकी रस्मों की जलती हुई आग में लड़कियाँ डाल दीं
नोशी गिलानी
128.
तुम भी आख़िर हो मर्द क्या जानो
एक औरत का दर्द क्या जानो
सैयदा अरशिया हक़
129.
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी
फ़िराक़ गोरखपुरी
130.
तेरे बिन घड़ियाँ गिनी हैं रात दिन
नौ बरस ग्यारह महीने सात दिन
रहमान फ़ारिस
131.
तुम तो दरवाज़ा खुला देख के दर आए हो
तुमने देखा नहीं दीवार को दर होने तक
रहमान फ़ारिस
132.
हम ग़ज़ल में तिरा चर्चा नहीं होने देते
तेरी यादों को भी रुस्वा नहीं होने देते
मेराज फ़ैज़ाबादी
133.
आँखों में जो भर लोगे तो काँटों से चुभेंगे
ये ख़्वाब तो पलकों पे सजाने के लिए हैं
जाँ निसार अख़्तर
134.
ख़्वाब होते हैं देखने के लिए
उनमें जा कर मगर रहा न करो
मुनीर नियाज़ी
135.
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
136.
बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
137.
मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई
इस लिए मेरे कमरे में इतनी ठंडक रहती है
बशीर बद्र
138.
चाहता है इस जहाँ में गर बहिश्त
जा तमाशा देख उस रुख़्सार का
वली मोहम्मद वली
139.
उनके रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा
मैंने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा
साहिर लुधियानवी
140.
ख़ुदा भी साथ रहता था हमारे इस ज़मीं पर
ये तब की बात है जब आसमाँ होता नहीं था
आशू मिश्रा
141.
जो शाम होती है हर रोज़ हार जाता हूँ
मैं अपने जिस्म की परछाइयों से लड़ते हुए
अमीर इमाम
142.
धूप में कौन किसे याद किया करता है
पर तिरे शहर में बरसात तो होती होगी
अमीर इमाम
143.
सोच लो ये दिल-लगी भारी न पड़ जाए कहीं
जान जिसको कह रहे हो जान होती जाएगी
अमीर इमाम
144.
पूरी अमीर इमाम की तस्वीर जब हुई
उसमें लहू का रंग भी भरना पड़ा मुझे
अमीर इमाम
145.
हम सेज पे फूलों की जीते हैं न मरते हैं
वो मौत के बिस्तर पे आराम से सोता है
नूर उज़ ज़माँ
146.
उस बस्ती पर मजबूरी का साया था
घर घर में बाज़ारों की आवाज़ें थीं
एन इरफ़ान
147.
मज़हबे – इश्क़ में पड़े थे हम
दूर दुनिया से फिर खड़े थे हम
सलीम सरमद
148.
हर्फ़ लफ़्ज़ों की तरफ़ लफ़्ज़ मआ’नी की तरफ़
लौट आए सभी किरदार कहानी की तरफ़
अभिषेक शुक्ला
149.
मक़ाम-ए-वस्ल तो अर्ज़-ओ-समा के बीच में है
मैं इस ज़मीन से निकलूँ तू आसमाँ से निकल
अभिषेक शुक्ला
150.
वजूद अपना है और आप तय करेंगे हम
कहाँ पे होना है हमको कहाँ नहीं होना
लियाक़त जाफ़री
यही मत समझना तुम्हीं ज़िन्दगी हो,
बहुत दिन अकेले भी हमने गुज़ारे. its just wow bro
वो जो लुत्फ़ मुझ पे थे बेशतर वो करम कि था मिरे हाल पर,
मुझे सब है याद ज़रा ज़रा तुम्हें याद हो कि न याद हो,,,,, I just love this Sher