Daag Dehlvi Shayari
आपका ए’तिबार कौन करे
रोज़ का इंतिज़ार कौन करे
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‘दाग़’ की शक्ल देख कर बोले
ऐसी सूरत को प्यार कौन करे
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ग़ज़ब किया तिरे वअ’दे पे ए’तिबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया
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अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरा
सब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा
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ये समझ कर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा है
काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा
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बात मेरी कभी सुनी ही नहीं
जानते वो बुरी भली ही नहीं
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उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं
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‘दाग़’ क्यूँ तुमको बेवफ़ा कहता
वो शिकायत का आदमी ही नहीं
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गर मरज़ हो दवा करे कोई
मरने वाले का क्या करे कोई
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उस गिले को गिला नहीं कहते
गर मज़े का गिला करे कोई
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दाग़ देहलवी Daag Dehlvi Shayari
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