Farhan Khan Shayari ~ फ़रहान ख़ान उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर के रहने वाले हैं. फ़रहान के शेरों में जो फ़िक्र है वो आज के शायरों में कम ही देखने को मिलती है. उनके कुछ शेर हम यहाँ पेश कर रहे हैं-
कभी तो मिलता कोई तो होता मुझे सिखाता सवाल करना,
तमाम मकतब सभी मु’अल्लिम जवाब देना सिखा रहे हैं
घर की तामीर में हम हद से गुजर जाते हैं
हम गुज़र जाते हैं वो घर तो बना रहता है
राह दुश्वार है उसपे जाना नहीं
लोग कहते रहे हमने माना नहीं
ज़िंदगी एक जंगल की पतली सड़क
और जंगल कि जिस में ठिकाना नहीं
कल ज़मीनों से तारीख़ निकलेगी जब
हड्डियाँ ही मिलेंगी ख़ज़ाना नहीं
इस मुसल्सल तवाफ़ दुनिया में
कोई भी सिम्त एक धोका है
शनासा उनसे इतना हो गया हूँ
मैं उन रस्तों का सब्ज़ा हो गया हूँ
कोई किरदार डूबा है कहीं पे
कहानी का मैं हिस्सा हो गया हूँ
कूचा कूचा भटक रहा हूँ मैं
आसमानों को तक रहा हूँ मैं
उसने पूछा है ख़त में हाल मिरा
फ़ितरतन फिर झिझक रहा हूँ मैं
‘दाग़’ कहते थे क्या ग़ज़ल प्यारी
और मिसरों में बक रहा हूँ मैं
हाल ऐसे भी ना संभल जाएं
हम सहूलत के रंग ढल जाएं
हम ज़रूरी नही हैं मर्ज़ी हैं
हम वो लम्हात हैं जो टल जाएं
जितने मज़लूम हैं ज़माने में
उनके अगले दिनों पे रहमत हो
इब्न ए मरियम भी है फिलिस्तीनी
सब फिलिस्तीनियों पे रहमत हो
किसी ख़बर पे कोई दिन मुझे भी हैरत हो
मैं चाहता हूँ मेरे सब गुमाँ ग़लत निकलें
रंग खुशबू मज़ा बदलने दो
आंच धीमी पे मुझको ढलने दो
इस ख़िरद को कमान डालो कुछ
दिल पिघलता है तो पिघलने दो
हफ़ीज़ मेरठी के बेहतरीन शेर…
उस्तादों के उस्ताद शायरों के 400 शेर…
Farhan Khan Shayari