Hafeez Merathi Best Sher
कभी कभी हमें दुनिया हसीन लगती थी
कभी कभी तिरी आँखों में प्यार देखते थे
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रात को रात कह दिया मैंने
सुनते ही बौखला गई दुनिया
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ये भी तो सोचिए कभी तन्हाई में ज़रा
दुनिया से हमने क्या लिया दुनिया को क्या दिया
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बद-तर है मौत से भी ग़ुलामी की ज़िंदगी
मर जाइयो मगर ये गवारा न कीजियो
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अभी से होश उड़े मस्लहत-परस्तों के
अभी मैं बज़्म में आया अभी कहाँ बोला
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सिर्फ़ ज़बाँ की नक़्क़ाली से बात न बन पाएगी ‘हफ़ीज़’
दिल पर कारी चोट लगे तो ‘मीर’ का लहजा आए है
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इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ
लो साथ छोड़ने लगा आख़िर ये साल भी
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वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया
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शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए
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ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है
कितना झुक कर किसे सलाम करो
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क्या जाने क्या सबब है कि जी चाहता है आज
रोते ही जाएँ सामने तुम को बिठा के हम
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हर सहारा बे-अमल के वास्ते बे-कार है
आँख ही खोले न जब कोई उजाला क्या करे
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मुहम्मद रफ़ी साहब द्वारा गायी गई ग़ज़लें…
लहू से अपने ज़मीं लाला-ज़ार देखते थे
बहार देखने वाले बहार देखते थे
Hafeez Merathi Best Sher