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हमारा घर

पापा ने गाड़ी घर के बाहर रोकी कि ननकू झट से दरवाज़ा खोल के गेट के सामने पहुँच गया और झाँक-झाँक के अंदर देखने लगा। चीकू भी ननकू के पीछे-पीछे आ गया था, वो तो गेट की सलाख़ों के बीच में से निकलकर अंदर चला गया ये देखकर ननकू हँसने लगा। माँ ने उतर के दादी की गोद से मचलते हुए रसगुल्ला को पहले उतारा..उतरते ही रसगुल्ला ननकू की तरफ़ दौड़ लगा गया। चीकू को अंदर देख के रसगुल्ला का भी अंदर जाने का मन हो रहा था पर उसके लिए घर नया था इसलिए वो ननकू के पास ही रुक गया।

माँ ने दादी को उतारा और पापा सामान उतारने लगे। माँ तीनों की बदमाशी देख रही थी घर के पास आते हुए बोलीं -“आते ही शैतानी शुरू..चीकूssss..बाबा रे तेरी बदमाशी”

माँ की आवाज़ सुनकर चीकू तुरंत शांति से बरामदे में बैठ गया, ये देखकर ननकू हँसने लगा और उसने झट से रसगुल्ला को गोद में उठा लिया। रसगुल्ला तो आँखे बड़ी किए हुए घर को देख रहा था। ननकू ने रसगुल्ला को प्यार से गले लगा लिया
“रसगुल्लाsssss…आ गए हम अपने घर”

रसगुल्ला ने एक बार प्यार से ननकू को देखा और उसे चाटने लगा। माँ ने अंदर से आवाज़ दी
“अरे भई..अंदर आना है कि नहीं?”

ननकू रसगुल्ला को गोद में उठाए अंदर आया तो चीकू कूदने लगा। रसगुल्ला ने चीकू को ऐसे देखा ही नहीं था..लेकिन चीकू इतने दिन बाद अपने घर आकर बच्चा हो गया था।

घर के अंदर सब कुछ देर बैठे कि माँ चाय बना लायीं। राखी बुआ ने साथ में मठरी बाँध दी थी चाय के साथ उसे ही माँ पापा और दादी खाने लगे और राखी बुआ और मौसी दादी की बातें करने लगे। माँ ने रसगुल्ला, चीकू और ननकू को बिस्कुट खाने के लिए दे दिया था।

चीकू तो बड़े मज़े से घर भर में घूम रहा था लेकिन रसगुल्ला ननकू के पास ही दुबक के बैठा हुआ था बीच-बीच में उठता और ज़रा चल के माँ, पापा और दादी के पास घूमकर, कुछ देर बैठकर आ जाता। माँ ने प्यार से रसगुल्ला को देखा तो रसगुल्ला चुपके से उठकर ननकू के पास जा बैठा, माँ मुसकुरायीं और बोलीं-

“ननकू…रसगुल्ला को घर नहीं दिखाएगा?..”

“माँ ये रसगुल्ला का भी तो घर है न..”

“हाँ बाबा..पर वो अभी-अभी आया है न तो उसको पता ही नहीं है कि ननकू कहाँ रहता है..पापा कहाँ सोते हैं..दादी का रूम कहाँ हैं?..जब तू राखी बुआ के यहाँ गया था तो तुझे भी पता नहीं था न..तुझे राखी बुआ ने कैसे घर दिखाया था”

अब माँ की बात ननकू को समझ आयी। ननकू रसगुल्ला को देखा तो रसगुल्ला उसे देखकर उछलने लगा, जैसे कि वो घूमने के लिए तैयार ही था। ननकू ने उसे उठाया और बोला
“चल रसगुल्ला..तुझे घर दिखाता हूँ..पता है यहाँ से न अंदर जाते हैं..ये दादी का कमरा है..इधर ज़्यादा हल्ला नहीं मचाना..पता है……”

चीकू भी अपने गद्दे से उठकर ननकू के पीछे दौड़ा माँ उन्हें देखकर मुस्कुरायी और माँ अटैची में से सामान निकालने लगीं, पापा उनकी मदद करने लगे दादी पास बैठी देखती रहीं। साथ में तीनों की बातें जारी थी।

(रसगुल्ला पहुँच ही गया ननकू के साथ घर..यहाँ चीकू की जगह तो पहले से है अब रसगुल्ला को कहाँ जगह मिलेगी ये तो ननकू को ही पता होगा..अरे आप अब तक यहीं बैठे हैं..चलिए आप भी देख लीजिए न रसगुल्ला के साथ घर..ननकू के कमरे से तीनों की कितनी आवाज़ आ रही है..ज़रूर खेलने लगे होंगे..चलकर देखते हैं)

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