घनी कहानी, छोटी शाखा: गणेशशंकर विद्यार्थी की कहानी “हाथी की फाँसी” का दूसरा भाग

Malikzada Manzoor Shayari Premchand Ki Kahani Saut

हाथी की फाँसी- गणेशशंकर विद्यार्थी Haathi Ki Phansi घनी कहानी, छोटी शाखा: गणेशशंकर विद्यार्थी की कहानी “हाथी की फाँसी” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा…पुराने ज़माने के नवाबों वाले शौक़ रखने वाले नवाब साहब का राज्य तो उनके हाथ से चला गया था लेकिन उनकी कोठी भी किसी राजमहल से कम न थी … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: गणेशशंकर विद्यार्थी की कहानी “हाथी की फाँसी” का पहला भाग

Malikzada Manzoor Shayari Premchand Ki Kahani Saut

हाथी की फाँसी- गणेशशंकर विद्यार्थी Haathi Ki Phansi Ganesh Shankar Vidyarthi भाग-1 कुछ दिन से नवाब साहब के मुसाहिबों को कुछ हाथ मारने का नया अवसर नही मिला था। नवाब साहब थे पुराने ढंग के रईस। राज्य तो बाप-दादे खो चुके थे, अच्छा वसीका मिलता था। उनकी ‘इशरत मंज़िल कोठी’ अब भी किसी साधारण राजमहल … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: आंडाल प्रियदर्शिनी की कहानी “छुईमुई” का अंतिम भाग

Malikzada Manzoor Shayari Premchand Ki Kahani Saut

छुईमुई- आंडाल प्रियदर्शिनी Chhuimui Aandal Priyadarshini ki kahani घनी कहानी, छोटी शाखा: आंडाल प्रियदर्शिनी की कहानी “छुईमुई” का पहला भाग घनी कहानी, छोटी शाखा: आंडाल प्रियदर्शिनी की कहानी “छुईमुई” का दूसरा भाग भाग- 3 (अब तक आपने पढ़ा..पद्ममवती से उसकी बहु रेवती का व्यवहार कटु है, जिसका कारण है उसकी असाध्य बीमारी…पद्मावती को ये रोग … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: आंडाल प्रियदर्शिनी की कहानी “छुईमुई” का दूसरा भाग

Malikzada Manzoor Shayari Premchand Ki Kahani Saut

छुईमुई- आंडाल प्रियदर्शिनी Hindi Kahani Chhuimui घनी कहानी, छोटी शाखा: आंडाल प्रियदर्शिनी की कहानी “छुईमुई” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा…पद्मावती अपने घर में अलग-थलग रहती है। उसकी बहु रेवती उससे उखड़ा हुआ व्यवहार करती है, पोती अनु को गले लगाने, अपने हाथ से खाना खिलाने, गोद में लोरी सुनाकर सुलाने का पद्मावती … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: आंडाल प्रियदर्शिनी की कहानी “छुईमुई” का पहला भाग

Malikzada Manzoor Shayari Premchand Ki Kahani Saut

छुईमुई- आंडाल प्रियदर्शिनी Chhuimui Aandal Priyadarshini भाग-1 “अनु, दादी को हाथ मत लगाना” बच्ची की पीठ पर पड़ी धौल पद्मावती के तन में गहरायी से उतर गई। “कमबख़्त कितनी बार कहा है, दादी के क़रीब मत जाओ, उन्हें मत छुओ, उनके ऊपर मत लेटो, खोपड़ी में कुछ जाए तब न..बस ज़िद..ज़िद और ज़िद..है तीन साल … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: ओ हेनरी की कहानी “अक्टूबर और जून” का अंतिम भाग

Jayshankar Prasad Ki Chooriwali October aur June O Henry

कहानी – अक्टूबर और जून October aur June
लेखक – ओ हेनरी

अब तक आपने पढ़ा- युद्ध की सेवाओं से आज़ाद कप्तान अपने पुराने समय को याद कर रहा है. वो याद कर रहा है एक औरत को जिससे वो प्यार करने लगा था, इसी बीच उसे एक पत्र मिलता है..ये पत्र उसे उदास कर देता है क्यूंकि इस पत्र में उसकी प्रेमिका थियोडोरा डैमिंग उससे कहती है कि वो उससे शादी नहीं कर सकती. वो कहती है कि दोनों के बीच उम्र का बड़ा अंतर है. पत्र पढ़ कर वो निराश हो जाता है और अपनी थियो से बात करने के लिए उसके पास जाता है. कप्तान अपनी प्रेमिका से आग्रह करता है कि वो अपने फ़ैसले पर पुनः विचार करे जिस पर थियो कहती है,”मैं तुम्हें पसंद करती हूँ पर तुमसे विवाह करना नहीं चल पाएगा.”, अब आगे..

कप्तान के ताम्बयी चेहरे पर हलकी लालिमा छा गयी । वह एक क्षण को मौन था और संध्या प्रकाश में उदासी के साथ घूर रहा था । जंगल के पार वह देख रहा था कि एक मैदान में नीले वस्त्र पहने लड़के, समुद्र की ओर क़दम-ताल करते हुए बढ़ रहे थे। ओह ! यह कितना समय पूर्व प्रतीत होता था । वास्तव में भाग्य और पितामह समय ने उसे पीड़ा पहुचाई थी । उसके और प्रसन्नता के मध्य कुछ ही वर्ष अड़े हुए थे ।

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घनी कहानी, छोटी शाखा: ओ हेनरी की कहानी “अक्टूबर और जून” का पहला भाग

Jayshankar Prasad Ki Chooriwali October aur June O Henry

कहानी – अक्टूबर और जून October aur June O Henry
लेखक – ओ हेनरी

कप्तान ने दीवार पर टंगी अपनी तलवार को उदासी से देखा। समीप की ही अलमारी में मौसम की मार और सेवा के कारण घिसी हुयी उसकी दाग़ धब्बेदार वर्दी टंगी थी। कितना लम्बा समय बीत गया प्रतीत होता था, जब उन पुराने दिनों में युद्ध की चेतावनी हुआ करती थी। और अब जब वह अपने देश के संघर्ष के समय से निवृत हो चुका था, एक औरत की कोमल आंखों और मुस्कुराते होंठों के प्रति समर्पित होकर, सिमटकर रह गया था। वह अपने शांत कमरे में बैठा था और उसके हाँथ में वह पत्र लगा था जो अभी-अभी उसे प्राप्त हुआ था। पत्र जिसने उसे उदास कर दिया था । उसने उन आघात पंक्तियों को पुनः पढा , जिसने उसकी आशा नष्ट कर दी थी ।
“तुमने मेरा सम्मान यह पूछ कर कम कर दिया है कि मैं तुम्हारी पत्नी बनना चाहूंगी । मुझे लगता है कि मुझे स्पष्ट कहना चाहिए । ऐसा करने का कारण यह है कि हमारी आयु में एक बड़ा अंतर है । में तुम्हें बहुत , बहुत पसंद करती हूँ , पर मेरा विश्वास है कि हमारा विवाह सफल नहीं होगा मुझे खेद है मैं इस प्रकार कह रहीं हूँ , पर मेरा विश्वास है कि तुम मेरे कारण की इमानदारी की प्रशंसा करोगे । ”
कप्तान ने आह भरी और अपने हाथों में अपना सिर थाम लिया। हाँ उनकी आयु के मध्य कई वर्ष थे । पर वह बलिष्ठ था, उसकी प्रतिष्ठा थी और उसके पास दौलत थी । क्या उसका प्रेम, उसकी कोमल देखभाल और उसे उसके द्वारा होने वाले लाभ, उसे आयु का प्रश्न नहीं भुला सकते थे? इसके अतिरिक्त, वह निश्चिंत था कि वह भी उसकी परवाह करती है ।

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घनी कहानी, छोटी शाखा: अमृता प्रीतम की कहानी “यह कहानी नहीं” का अंतिम भाग

यह कहानी नहीं- अमृता प्रीतम Punjabi Story in Hindi घनी कहानी, छोटी शाखा: अमृता प्रीतम की कहानी “यह कहानी नहीं” का पहला भाग घनी कहानी, छोटी शाखा: अमृता प्रीतम की कहानी “यह कहानी नहीं” का दूसरा भाग भाग-3 (अब तक आपने पढ़ा…सरकारी मीटिंग के लिए स के शहर आयी अ को स अपने घर अधिकार … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: अमृता प्रीतम की कहानी “यह कहानी नहीं” का दूसरा भाग

यह कहानी नहीं- अमृता प्रीतम Yeh Kahani Nahin घनी कहानी, छोटी शाखा: अमृता प्रीतम की कहानी “यह कहानी नहीं” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा..किसी सरकारी मीटिंग में स के शहर आयी अ को मीटिंग ख़त्म होने के बाद स अपने घर ले आता है। इन दोनों की पहचान पुरानी लगती है लेकिन … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: अमृता प्रीतम की कहानी “यह कहानी नहीं” का पहला भाग

यह कहानी नहीं- अमृता प्रीतम Yeh Kahani Nahin Amrita Pritam भाग-1 पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता, तो घर की दीवारें बन सकता था। पर बना नहीं। वह धरती पर फैल गया, सड़कों की तरह और वे दोनों तमाम उम्र उन सड़कों पर चलते … Read more