उर्दू शायरी और शब्द : हमला-आवर, आशुफ़्ता, गुज़िश्ता, दस्त और दश्त…
Urdu Shayari se jude lafz हमला-आवर (حملہ آور): हमला-आवर एक ऐसा लफ़्ज़ है जिसे आम लोग ‘हमलावर’ पढ़ते हैं जोकि…
हिन्दी व्याकरण: “की” और “कि” का प्रयोग
Hindi Vyakaran mein Ki aur Ka ka prayog: किसी भी भाषा को आसानी से लिखने-पढ़ने और समझने के लिए ज़रूरी…
दो शा’इर, दो ग़ज़लें (13): परवीन शाकिर और हसरत मोहानी..
परवीन शाकिर की ग़ज़ल: Koo Ba Koo Phail Gayi Baat Shanasayi Ki कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की, उसने ख़ुशबू…
दो शा’इर, दो नज़्में (3): फ़रहत एहसास और फ़हमीदा रियाज़
Farhat Ehsas Nazm फ़रहत एहसास की नज़्म: ख़ुद-आगही वो कैसी तारीक घड़ी थी, जब मुझको एहसास हुआ था मैं तन्हा…
मजाज़ की ग़ज़ल: “जिगर और दिल को बचाना भी है”
Jigar aur dil ko bachana जिगर और दिल को बचाना भी है, नज़र आप ही से मिलाना भी है मुहब्बत…
14 साल की उम्र से शुरू’अ हुआ ज़हरा निगाह की शा’इरी का सफ़र…
Zehra Nigah Shayari “हिकायत ए ग़म ए दुनिया तवील थी कह दी, हिकायत ए ग़म ए दिल मुख़्तसर है क्या…
मिर्ज़ा ग़ालिब की रुबाइयाँ…
मिर्ज़ा ग़ालिब (27 दिसंबर, 1796 – 15 फ़रवरी 1869) (Ghalib Shayari Rubai) उर्दू के सबसे महान शा’इरों में शुमार किये…
“एक लेखक क़लम तभी उठाता है जब उसकी समझ को आघात पहुँचता है”
Saadat Hasan Manto Biography ~ आज एक मेसेज मेरे पास आया, उस मेसेज में ये बताने की कोशिश की गयी…
एक ज़मीन, दो ग़ज़लें (1): मख़दूम और फ़ैज़..
साहित्य दुनिया की आज हम एक और सीरीज़ शुरू’अ कर रहे हैं, “एक ज़मीन दो ग़ज़लें”. Ghazal Zameen Shayari इस…
दो शा’इर, दो ग़ज़लें सीरीज़ (12): फ़ानी बदायूँनी और राहत इन्दौरी
फ़ानी बदायूँनी की ग़ज़ल: हम मौत भी आए तो मसरूर नहीं होते Hum Maut Bhi Aaye to Masroor Nahin Hote…