राखी बुआ का चीकू और रसगुल्ला से डर जाना घर भर में चर्चा का विषय रहा. सभी लोगों ने इस पर राखी बुआ से हँसी-मज़ाक़ किया वहीं ननकू अभी तक ये समझ नहीं पा रहा था कि आख़िर राखी बुआ चीकू और रसगुल्ला से डर कैसे गईं. ननकू इस बात को जानने के लिए रॉकी चाचा के पास पहुँचा..
“चाचा.. राखी बुआ चीकू और रसगुल्ला से क्यूँ डर गईं?” ननकू ने रॉकी चाचा से मासूम सवाल किया..
“क्यूँकि उन्हें कुत्तों से डर लगता है न..” रॉकी चाचा ने ननकू के सर पर हाथ रखते हुए समझाया
“अरे पर चीकू और रसगुल्ला से भी?.. वो तो कितने प्यारे हैं न..” ननकू ने रॉकी चाचा की ओर देखते हुए कहा
“प्यारे तो हैं लेकिन राखी बुआ ने तो पहली ही बार देखा न..” उन्होंने फिर समझाया
“पर चाचा चीकू तो फिर भी थोड़ा बड़ा है, रसगुल्ला तो कित्ता सा है, छोटू सा..उससे भी?”
“पहली बार देखा न.. धीरे-धीरे मन से डर निकल जाएगा उनके”
“अच्छा..” ननकू ने समझने की कोशिश की
“तुम एक काम क्यूँ नहीं करते…! चीकू और रसगुल्ला कहाँ हैं? उन्हें लेकर आओ ज़रा यहाँ” अचानक ही रॉकी चाचा के मन में कुछ नया सा ख़याल आया..
ननकू झट से मौसी-दादी के कमरे में गया जहां सब आपस में बैठ कर बातें कर रहे थे,, चीकू-रसगुल्ला भी वहीं सबकी बातें सुन रहे थे और राखी बुआ नाश्ता हो जाने के बाद किचन की थोड़ी बहुत सफ़ाई में लगी थीं, जिस कमरे में रॉकी चाचा थे और जिस कमरे में सब बातें कर रहे थे उसके बीच में किचन था.. ऐसे में ननकू ने चीकू और रसगुल्ला को चुपचाप बिना राखी बुआ को ख़बर हुए चलने को कहा..
बचते बचाते तीनों रॉकी चाचा के पास पहुँच गए.. रॉकी चाचा ने चीकू को काम में कुछ समझाया और चीकू ने धीरे से रसगुल्ला के कानों में कुछ कह दिया.. ननकू ये सब देख कर हैरान सा हो रहा था. जब तक ननकू कुछ समझता चीकू कमरे के बाएँ दरवाज़े के पीछे छुप गया और रसगुल्ला को रॉकी चाचा ने अपने पीछे तकिया रखा और उसके पीछे छुप जाने को कहा.
“चाचा.. मुझे भी बताओ न”
“राखी बुआ को हम डराने वाले हैं.. ”
“पर हमें तो दोस्ती करानी है न..”
“दोस्ती तो कराएँगे पर पहले थोड़ा डराना तो चाहिए न..”
ननकू को रॉकी चाचा की थ्योरी बिलकुल समझ नहीं आ रही थी और ननकू ने एक बार चीकू को इशारा करके मना भी करने की कोशिश की लेकिन चीकू तो कहाँ सुनने वाला था..चुपके से दरवाज़े के साइड में जाकर छुप गया, रसगुल्ला ने भी अपनी जगह संभाल ली..ननकू भी फिर रॉकी चाचा के बताने के मुताबिक़ बेड के एक साइड में बैठ कर ये सब देखने लगा
“राखी.. ए राखी” रॉकी चाचा ने ज़रा ज़ोर से राखी बुआ को बुलाया..
“क्या हुआ?” किचन से ही राखी बुआ ने जवाब दिया..
“तुम्हें कल एक डॉक्यूमेंट दिया था रखने को….दे दो ज़रा बहन”
“आती हूँ…” वो ये कहते हुए कमरे में जैसे ही दाख़िल हुईं चीकू ने भौंकना शुरू कर दिया.. राखी बुआ डर कर बेड पर जैसे ही बैठीं पीछे से रसगुल्ला ने उनके पंजे पर हाथ छुआ दिए.. वो झट से खड़ी हो गईं… राखी बुआ जल्दी से कमरे से बाहर जाने को हुईं तो वहीं चीकू बीच में बैठ गया, अब राखी बुआ को समझ नहीं आ रहा कि वो कैसे बाहर जाएँ.. रॉकी चाचा भी चीकू के पास खड़े हो गया और रसगुल्ला बेड के एक कोने पर बैठ गया, वहीं बग़ल में ननकू बैठा था.
राखी बुआ ने ननकू के कान में कहा,”ननकू.. तू बोल न चीकू को, साइड से हटने को..” ननकू ने राखी बुआ की बात को अनसुना सा कर दिया, उन्होंने ननकू के कन्धे को हल्के से हिलाते हुए कहा..”बोल न”
ननकू ने जब राखी बुआ की बात नहीं सुनी तो उन्होंने रॉकी चाचा से कहा,”रॉकी… हटा न चीकू को..”
रॉकी चाचा पास अपनी बहन के पास आकर बैठे और कहा इसमें,”कोई डरने की बात थोड़े न है.. वो कुछ करेगा थोड़े..”
“हाँ तो कह दे ना हटने को”, राखी बुआ ने फिर कहा
“अच्छा ठीक है.. चीकू हट जाएगा.. पर इसकी एक शर्त होगी…”
क्रमशः
(रॉकी चाचा ने तो राखी बुआ को और डरा दिया है. ननकू साथ में तो है सबके लेकिन समझ वो भी नहीं पा रहा है कि राखी बुआ को क्यूँ डराया जा रहा है. वो तो चाहता है कि सबकी दोस्ती हो जाए और अब जबकि राखी बुआ कमरे के बाहर जाने से इसलिए डर रही हैं क्यूँकि दरवाज़े के बीचो-बीच चीकू बैठ गया है तो रॉकी चाचा ने बजाय उनकी मदद करने के कनके सामने एक शर्त का प्रस्ताव रखा है.. अब ये शर्त क्या होगी और क्या राखी बुआ इस शर्त को मानेंगी..ये आपको पता चलेगा ननकू के क़िस्से की अगली कड़ी में..)