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Shaharyar Umrao Jaan Gaman

जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है
ज़िंदगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है

धूप के क़हर का डर है तो दयार-ए-शब से
सर-बरहना कोई परछाईं निकलती क्यूँ है

मुझको अपना न कहा इस का गिला तुझ से नहीं
इस का शिकवा है कि बेगाना समझती क्यूँ है

तुझसे मिल कर भी न तन्हाई मिटेगी मेरी
दिल में रह रह के यही बात खटकती क्यूँ है

मुझसे क्या पूछ रहे हो मिरी वहशत का सबब
बू-ए-आवारा से पूछो कि भटकती क्यूँ है

(फ़िल्म – उमराव जान)
~शहरयार

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परवीन शाकिर के बेहतरीन शेर…
निदा फ़ाज़ली के बेहतरीन शेर..

ज़िंदगी जब भी तिरी बज़्म में लाती है हमें
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें

सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूँ तिरी आवाज़ बुलाती है हमें

याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पिछले-पहर रोज़ जगाती है हमें

हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें

(उमराव जान)
~शहरयार

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इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
इन आँखों से वाबस्ता अफ़्साने हज़ारों हैं

इक तुम ही नहीं तन्हा उल्फ़त में मिरी रुस्वा
इस शहर में तुम जैसे दीवाने हज़ारों हैं

इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं
कहने को तो दुनिया में मय-ख़ाने हज़ारों हैं

इस शम-ए-फ़रोज़ाँ को आँधी से डराते हो
इस शम-ए-फ़रोज़ाँ के परवाने हज़ारों हैं

(उमराव जान)
~शहरयार

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माँ पर बेहतरीन शेर..
दुष्यंत कुमार के बेहतरीन शेर..

अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो
मैं अपने साए से कल रात डर गया यारो

हर एक नक़्श तमन्ना का हो गया धुँदला
हर एक ज़ख़्म मिरे दिल का भर गया यारो

भटक रही थी जो कश्ती वो ग़र्क़-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दरिया उतर गया यारो

वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शख़्स मर गया यारो

मैं जिसको लिखने के अरमान में जिया अब तक
वरक़ वरक़ वो फ़साना बिखर गया यारो

(फ़िल्म- गमन)
~शहरयार

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सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है

दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँडे
पत्थर की तरह बे-हिस ओ बे-जान सा क्यूँ है

तन्हाई की ये कौन सी मंज़िल है रफ़ीक़ो
ता-हद्द-ए-नज़र एक बयाबान सा क्यूँ है

हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-पशेमान पशेमान सा क्यूँ है

क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
आईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है

शहरयार

(फ़िल्म- गमन)

~शहरयार

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शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ के बेहतरीन शेर….
अहमद फ़राज़ के बेहतरीन शेर…

ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
हद-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है

हर एक जिस्म रूह के अज़ाब से निढाल है
हर एक आँख शबनमी हर एक दिल फ़िगार है

हमें तो अपने दिल की धड़कनों पे भी यक़ीं नहीं
ख़ोशा वो लोग जिन को दूसरों पे ए’तिबार है

न जिस का नाम है कोई न जिस की शक्ल है कोई
इक ऐसी शय का क्यूँ हमें अज़ल से इंतिज़ार है

(फ़िल्म- उमराव जान)

~शहरयार

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दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए

इस अंजुमन में आपको आना है बार बार
दीवार-ओ-दर को ग़ौर से पहचान लीजिए

माना कि दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास
लेकिन ये क्या कि ग़ैर का एहसान लीजिए

कहिए तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँ
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए

(उमराव जान)
~शहरयार

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जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने

सब का अहवाल वही है जो हमारा है आज
ये अलग बात कि शिकवा किया तन्हा हमने

ख़ुद पशीमान हुए ने उसे शर्मिंदा किया
इश्क़ की वज़्अ को क्या ख़ूब निभाया हमने

कौन सा क़हर ये आँखों पे हुआ है नाज़िल
एक मुद्दत से कोई ख़्वाब न देखा हमने

उम्र भर सच ही कहा सच के सिवा कुछ न कहा
अज्र क्या इस का मिलेगा ये न सोचा हमने

(उमराव जान)

~शहरयार

गुलज़ार के बेहतरीन शेर..
राहत इन्दौरी के बेहतरीन शेर
उमैर नज्मी के बेहतरीन शेर…

Shaharyar Umrao Jaan Gaman

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