Urdu Shayari Meter इसके पहले कि हम आगे की बात करें मिर्ज़ा ग़ालिब के एक शे’र की मदद से वज़्न क्या है ये समझने की कोशिश करते हैं-
बदल कर फ़क़ीरों का हम भेस ‘ग़ालिब’,
तमाशा ए अहले करम देखते हैं
इसका वज़्न करके आपको दिखाते हैं-
ब(1)दल(2)कर(2) फ़(1)क़ी(2)रों(2) का(1)हम(2)भे(2) स(1)ग़ा(2)लिब(2),
त(1)मा(2)शा(2) ए(1)अह(2)ले(2) क(1)रम(2)दे(2) ख(1)ते(2)हैं(2)
अगर नोटिस करें तो पहले मिसरे का वज़्न 122 122 122 122 है और इसी क्रम में यही वज़्न दूसरे मिसरे का भी है. इसी को शे’र का वज़्न में होना कहते हैं.