शायरी सीखें: वज़्न करने का तरीक़ा (1)

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Urdu Shayari Meter इसके पहले कि हम आगे की बात करें मिर्ज़ा ग़ालिब के एक शे’र की मदद से वज़्न क्या है ये समझने की कोशिश करते हैं-

बदल कर फ़क़ीरों का हम भेस ‘ग़ालिब’,
तमाशा ए अहले करम देखते हैं

इसका वज़्न करके आपको दिखाते हैं-

ब(1)दल(2)कर(2) फ़(1)क़ी(2)रों(2) का(1)हम(2)भे(2) स(1)ग़ा(2)लिब(2),
त(1)मा(2)शा(2) ए(1)अह(2)ले(2) क(1)रम(2)दे(2) ख(1)ते(2)हैं(2)

अगर नोटिस करें तो पहले मिसरे का वज़्न 122 122 122 122 है और इसी क्रम में यही वज़्न दूसरे मिसरे का भी है. इसी को शे’र का वज़्न में होना कहते हैं.

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नामौज़ूंनियत, सुस्त बंदिश, बलाग़त और फ़साहत

Learn Urdu Poetry Hindi Shayari Ki Zaroori Baaten आ वाले शब्द

Shayari Ki Zaroori Baaten आज हम आपको ‘शाइरी की बातें’ में चार ऐसे बिन्दुओं के बारे में बता रहे हैं जिसको जानना बेहद ज़रूरी है. इन्हें जानकार ही आपकी शा’इरी और बेहतर हो सकती है- नामौज़ूंनियत: नामौज़ूंनियत शब्द का अर्थ है कि किसी शेर का मौज़ूं ना होना. ऐसा माना जाता है कि कोई मिसरा … Read more

नज़्म क्या है?

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Nazm Kya Hoti Hai: नज़्म अरबी ज़बान का लफ़्ज़ है जिसका अर्थ होता है ‘पिरोना’,’लड़ी’ या ‘कलाम ए शा’इर’. गुज़िश्ता ज़माने में तो शा’इरी को ही नज़्म कहा जाता था. इसका अर्थ ये हुआ कि किसी भी क़िस्म की शा’इरी नज़्म है लेकिन वक़्त के आगे बढ़ने के साथ नज़्म अपने आप में एक क़िस्म के रूप में विकसित हुई. आज उर्दू शा’इरी की दो जो बड़ी क़िस्में हैं उनमें से एक ग़ज़ल है और दूसरी नज़्म.

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ग़ज़ल क्या है?

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(Ghazal Kya hai) हमने इसके पहले आपको ‘शाइरी क्या है?’ इस बारे में बताया था. आज से हम शाइरी की अलग-अलग क़िस्मों के बारे में बात करेंगे. सबसे पहले बात करते हैं ग़ज़ल की. ग़ज़ल: एक ही ज़मीन में कहे गए अश’आर(शेर का बहुवचन) के समूह को ग़ज़ल कहते हैं. जैसा कि इसके पहले की … Read more

ग़ज़ल में मक़ता क्या होता है?

Meer Taqi Meer ki shayari. Ghazal Shayari Maqta संज्ञा के प्रकार ह वाले शब्द Sangya Ke Bhed

मक़ता: ग़ज़ल का आख़िरी शे’र मक़ता कहलाता है.अक्सर इसमें शा’इर अपने तख़ल्लुस (pen name) का इस्तेमाल करता है. Ghazal Shayari Maqta तख़ल्लुस: शा’इर जिस नाम से शा’इरी करता है उसे तख़ल्लुस कहते हैं जैसे रघुपति सहाय गोरखपुरी का तख़ल्लुस ‘फ़िराक़’ है जिन्हें हम ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी के नाम से जानते हैं. मुहम्मद अल्वी की इस ग़ज़ल … Read more

शायरी सीखें: ग़ज़ल का मतला क्या होता है?

Ghazal ka Matla

Ghazal ka Matla मत’ला: ग़ज़ल या क़सीदे का वो शे’र जिसके दोनों मिसरों में रदीफ़ और क़ाफ़िये का इस्तेमाल होता है उसे मत’ला कहते हैं. अक्सर को ग़ज़ल का पहला शे’र मत’ला होता है लेकिन एक ग़ज़ल में एक से अधिक मत’ले भी हो सकते हैं, इसको लेकर कोई पाबंदी नहीं है. एक बात और … Read more

शायरी सीखें: क़ाफ़िया क्या है?

Shayari Kya Hai? Qafiya शृ और श्री में अंतर

क़ाफ़िया (Qafiya Kya Hai) ग़ज़ल के हर शेर के दूसरे मिसरे में रदीफ़ से ठीक पहले आने वाले वो शब्द जो एक ही आवाज़ पर ख़त्म होते हैं, उन्हें क़ाफ़िया (Qafiya) कहते हैं.मत’ला में क़ाफ़िया दोनों मिसरों में इस्तेमाल होता है जबकि बाक़ी शे’रों में ये सिर्फ़ मिसरा-ए-सानी में आता है. Qafiya Kya Hai समझने … Read more

रदीफ़ क्या है?

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रदीफ़ (Radeef kya hai): ग़ज़ल या क़सीदे के शेरों के अंत में जो शब्द या शब्द-समूह बार-बार दुहराए जाते हैं, उन्हें रदीफ़ कहते हैं. मत’ले में रदीफ़ दोनों मिसरों में रहती है जबकि ग़ज़ल के बाक़ी शे’रों में सिर्फ़ मिसरा-ए-सानी(दूसरे मिसरे) में ही इसका इस्तेमाल होता है. शकील बदायूँनी की इस ग़ज़ल में “पे रोना … Read more

शेर क्या है?

Sher Kaise Likhen

Sher Kaise Likhen शे’र: दो मिसरों की ऐसी कविता जिसके दोनों मिसरे एक बह्र और एक ही ज़मीन पर हों, शे’र कहलाती है. शे’र अगर मत’ला है तो दोनों मिसरों में रदीफ़ और क़ाफ़िए की पाबंदी होगी अन्यथा सिर्फ़ मिसरा-ए-सानी (दूसरे मिसरे) में रदीफ़, क़ाफ़िए की पाबंदी होगी. मिसरा: किसी भी पंक्ति (लाइन) को मिसरा … Read more

“ये खटमल ये मक्खी ये मच्छर की दुनिया”- अहमद अल्वी

ये खटमल ये मक्खी ये मच्छर की दुनिया ये लंगूर भालू ये बंदर की दुनिया ये कुत्तों गधों और ख़च्चर की दुनिया ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ये चोरों ये लुच्चों लफ़ंगों की दुनिया ये कमज़ोरों की और दबंगों की दुनिया तप-ए-दिक़ के बीमार चंगों की दुनिया ये दुनिया अगर मिल … Read more