अरग़वान रब्बही के शेर…
Arghwan Rabbhi Shayari है इक तमीज़ कि बाहर निकल नहीं सकता, तुम्हारा हाथ पकड़ कर मैं चल नहीं सकता अरग़वान…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Arghwan Rabbhi Shayari है इक तमीज़ कि बाहर निकल नहीं सकता, तुम्हारा हाथ पकड़ कर मैं चल नहीं सकता अरग़वान…
Bewafai Shayari काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें…
Tehzeeb Hafi Shayari Hindi ग़ज़ल 1: इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं मैं जो भी देखता हूँ भूलता नहीं…