ख़्वाब पर बेहतरीन शेर…
Khwab Shayari इक मुअम्मा है समझने का न समझाने का ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का फ़ानी बदायुनी __ अपनी ताबीर के चक्कर में मिरा जागता ख़्वाब रोज़ सूरज की तरह घर से निकल पड़ता है राहत इंदौरी __ आँखों में जो भर लोगे तो काँटों से चुभेंगे ये ख़्वाब तो पलकों पे … Read more