भिखारिन – रबीन्द्रनाथ टैगोर

Bhikharin Rabindranath Tagore – अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती, दर्शन करने वाले बाहर निकलते तो वह अपना हाथ फैला देती और नम्रता से कहती- “बाबूजी, अन्धी पर दया हो जाए” वह जानती थी कि मन्दिर में आने वाले सहृदय और श्रध्दालु हुआ करते हैं। उसका यह अनुमान असत्य न था। आने-जाने … Read more

दिनों की लाशें — अरग़वान रब्बही

Road in Etten - drawing by Vincent van Gogh

DinoN Ki LaasheN ~~ अरग़वान रब्बही ट्रेन की खिड़की से बाहर साथ-साथ चलते अंधेरों के बीच अंदर सोए लोगों की जागती नींदों की लोरियाँ मुझे भी सुलाने की कोशिश कर रही थीं, मगर मैं चाहकर भी सो नहीं सकता था क्योंकि मुझे अगले ही स्टेशन पर उतरना था… कुछ ही वक़्त में काले अंधेरे रास्ते … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की कहानी “अनुपमा का प्रेम” का अंतिम भाग

Anupama ka prem Sharatchandr Chatopadhyay

अनुपमा का प्रेम- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय   Anupama ka prem Sharatchandr घनी कहानी, छोटी शाखा: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की कहानी “अनुपमा का प्रेम” का पहला भाग घनी कहानी, छोटी शाखा: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की कहानी “अनुपमा का प्रेम” का दूसरा भाग भाग-3 (अब तक आपने पढ़ा। बचपन से उपन्यास पढ़ने की शौक़ीन अनुपमा उपन्यास की कहानियों को जीने … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की कहानी “अनुपमा का प्रेम” का पहला भाग

Anupama ka prem Sharatchandr Chatopadhyay

अनुपमा का प्रेम- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय Anupama ka prem Sharatchandr Chatopadhyay भाग-1 ग्यारह वर्ष की आयु से ही अनुपमा उपन्यास पढ़-पढ़कर मष्तिष्क को एकदम बिगाड़ बैठी थी। वह समझती थी, मनुष्य के हृदय में जितना प्रेम, जितनी माधुरी, जितनी शोभा, जितना सौंदर्य, जितनी तृष्णा है, सब छान-बीनकर, साफ़ कर उसने अपने मष्तिष्क के भीतर जमा कर … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “सोहाग का शव” का पहला भाग

सोहाग का शव- मुंशी प्रेमचंद Suhag Ka Shav Premchand भाग-1 मध्यप्रदेश के एक पहाड़ी गाँव में एक छोटे-से घर की छत पर एक युवक मानो संध्या की निस्तब्धता में लीन बैठा था। सामने चन्द्रमा के मलिन प्रकाश में डूबी पर्वतमालाऍं अनन्त के स्वप्न की भाँति गम्भीर रहस्यमय, संगीतमय, मनोहर मालूम होती थीं, उन पहाड़ियों के … Read more