Nasir Kazmi Best Sher
ग़म है या ख़ुशी है तू
मेरी ज़िंदगी है तू
नासिर काज़मी
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आफ़तों के दौर में
चैन की घड़ी है तू
नासिर काज़मी
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‘नासिर’ इस दयार में
कितना अजनबी है तू
नासिर काज़मी
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वक़्त अच्छा भी आएगा ‘नासिर’
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी
नासिर काज़मी
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दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
नासिर काज़मी
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कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नई है अभी
नासिर काज़मी
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आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
नासिर काज़मी
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याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था
नासिर काज़मी
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दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
नासिर काज़मी
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ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
नासिर काज़मी
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वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
नासिर काज़मी
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तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगर
तू ने वादा किया था याद तो कर
नासिर काज़मी
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दाएम आबाद रहेगी दुनिया
हम न होंगे कोई हम सा होगा
नासिर काज़मी
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भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
नासिर काज़मी
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आज देखा है तुझको देर के बअ’द
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
नासिर काज़मी
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ओ मेरे मसरूफ़ ख़ुदा
अपनी दुनिया देख ज़रा
नासिर काज़मी
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कौन अच्छा है इस ज़माने में
क्यूँ किसी को बुरा कहे कोई
नासिर काज़मी
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ऐ दोस्त हमने तर्क-ए-मुहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
नासिर काज़मी
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दिल तो मेरा उदास है ‘नासिर’
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है
नासिर काज़मी
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रात कितनी गुज़र गई लेकिन
इतनी हिम्मत नहीं कि घर जाएँ
नासिर काज़मी
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किसे ढूँढोगे इन गलियों में ‘नासिर’
चलो अब घर चलें दिन जा रहा है
नासिर काज़मी
Nasir Kazmi Best Sher