Moid Rasheedi Shayari ~
लगता है तबाही मिरी क़िस्मत से लगी है
ये कौन सी आँधी मिरे अंदर से उठी है
मुईद रशीदी
__
आते आते जो तिरा नाम सा रह जाता है
मेरे सीने में वो कोहराम सा रह जाता है
मुईद रशीदी
__
ऐ ज़माने की हवा अब तो रिहा कर मुझ को
इश्क़ के बाद भी कुछ काम सा रह जाता है
मुईद रशीदी
__
ख़ौफ़ है धुंद भरी रात है तन्हाई है
मेरे कमरे में अभी रात है तन्हाई है
मुईद रशीदी
__
अब इससे पहले कि रुस्वाई अपने घर आती
तुम्हारे शहर से हम बा-अदब निकल आए
मुईद रशीदी
__
ठहरे हुए पानी का मुक़द्दर नहीं होता
बहते हुए पानी का तक़ाज़ा है गुज़र जा
मुईद रशीदी
__
ये मोजज़ा है कि मैं रात काट देता हूँ
न जाने कैसे तिलिस्मात काट देता हूँ
मुईद रशीदी
__
इसी जवाब के रस्ते सवाल आते हैं
इसी सवाल में सारा जवाब ठहरा है
मुईद रशीदी
__
मुझको पाने की तमन्ना में वो ग़र्क़ाब हुआ
मैंने साहिल की तमन्ना में उसे खोया है
मुईद रशीदी
__
उस बार उजालों ने मुझे घेर लिया था
इस बार मिरी रात मिरे साथ चली है
मुईद रशीदी
__
ज़िंदगी हम तिरे कूचे में चले आए तो हैं
तेरे कूचे की हवा हम से ख़फ़ा लगती है
मुईद रशीदी
__
ख़्वाब में तोड़ता रहता हूँ अना की ज़ंजीर
आँख खुलती है तो दीवार निकल आती है
मुईद रशीदी
__
ये हिजरतों के तमाशे, ये क़र्ज़ रिश्तों के
मैं ख़ुद को जोड़ते रहने में टूट जाता हूँ
मुईद रशीदी
__
ऐ अक़्ल नहीं आएँगे बातों में तिरी हम
नादान थे नादान हैं नादान रहेंगे
मुईद रशीदी
__
इतना आसाँ नहीं लफ़्ज़ों को ग़ज़ल कर लेना
शोर को शेर बनाने में जिगर लगता है
मुईद रशीदी
__
चंद यादों के दिए थोड़ी तमन्ना कुछ ख़्वाब
ज़िंदगी तुझ से ज़ियादा नहीं माँगा हम ने
मुईद रशीदी
__
जो बिछड़ गया वो मिला नहीं ये सवाल था
जो मिला नहीं वो बिछड़ गया ये कमाल है
मुईद रशीदी
__
कोई आता है या नहीं आता
आज ख़ुद को पुकार कर देखें
मुईद रशीदी
__
Moid Rasheedi Shayari