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गुप्तकथा- गोपालराम गहमरी  Hindi Kahani Guptkatha

घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का पहला भाग
घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का दूसरा भाग
घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का तीसरा भाग
घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का चौथा भाग
भाग-5

(अब तक आपने पढ़ा..अपने दोस्त जासूस को हैदर अली, पिता चिराग़ अली की बीमारी की बात बताता है और इसका कारण एक दिन अचानक घर आ पहुँचे इब्राहिम भाई को बताता है, जो उनके घर में अपनी ही धाक जमाता है। घर के नौकरों तक तो हैदर फिर भी ये बात सह जाता है लेकिन जब एक दिन इब्राहिम उसे चिलम भरने का हुक्म देता है तो उससे रहा नहीं जाता और वो इब्राहिम को बहस के बाद जूते से पीट देता है। इस बात के लिए उसे, उसके पिता चिराग़ अली माफ़ी माँगने कहते हैं, लेकिन हैदर कहता है कि माफ़ी और दंड दोनों के लिए होना चाहिए। इस बात से नाराज़ होकर इब्राहिम लौट जाता है लेकिन चिराग़ अली को धमकी देकर जाता है। उसकी धमकी का असर चिराग़ अली की सेहत में नज़र आने लगता है। ऐसे में एक दिन एक चिट्ठी आती है, जिसे पाकर चिराग़ अली के चेहरे पर उत्साह नज़र आता है और रात गए वो भी एक चिट्ठी लिखते हैं और सुबह तक उनकी तबियत बिगड़ जाती है। हैदर को उनका ये हाल कुछ समझ नहीं आता लेकिन वो उन्हें फिर भी धीरज देता है और कहता है कि वो किसी भी तरह उन्हें ज़रूर स्वस्थ कर देगा। दूसरी ओर वो ख़ुद इस बात से चिंतित है और जासूस से कहता है कि वो चलकर उसके पिता को देख आए। अब आगे..)

हैदर की सब कथा कान देकर जासूस ने सुन ली। जासूस चिराग़ अली को बहुत मानता था, हैदर की बात सुनते ही उसी दम वहाँ से उठा और हैदर की गाड़ी में बैठकर उसके बाप से मिलने को चला। लेकिन रास्ते में जासूस को तरह-तरह की चिंता होने लगी। चिराग़ अली के घर में इब्राहिम भाई का पाहुना होकर आना, चिराग़ अली का उसको देवता की तरह मानना, हैदर का उसको जूते लगाना, क्रोध में आकर इब्राहिम का वहाँ से चला जाना, इन सब बातों के साथ चिराग़ अली की बीमारी का कुछ संबंध है या नहीं, यही विचार जासूस के चित्त में आया। चिराग़ अली ने वह चिट्ठी कहाँ पाई, उसमें क्या लिखा था? उस चिट्ठी को पढ़ने के पीछे उसका रंग क्यों बदला था? फिर चिराग़ अली ने दो बजे रात से भी अधिक समय तक बैठकर अपने हाथ से लिखा था, वह क्या था? उन्होंने जो चिट्ठी पाई थी, उसी का उत्तर था या क्या? अगर उसी का उत्तर था तो उसे उन्होंने कैसे उसके पास भेजा? मन ही मन जासूस ने विचार कर हैदर से पूछा – “तुम्हारे पिता को जो चिट्ठी मिली थी; वह किसने भेजी थी, उसमें क्या लिखा था, इसका तुमको कुछ हाल मिला है?”

हैदर – “उस पत्र में क्या लिखा था, कहाँ से आया था, किसने उसको भेजा था, इस बात को जानने के लिए मेरी भी इच्छा हुई थी। यहाँ तक कि वह चिट्ठी मेरे पास आ गई। अब भी वह हमारे पास है, लेकिन उसमें क्या लिखा है सो अब तक मेरी समझ में नहीं आया। उस पर लिखने वाले की सही भी नहीं है। आप देखिए शायद समझ सकें”

इतना कहकर हैदर ने एक चिट्ठी जासूस को दी। जासूस ने उस चिट्ठी को कई बार पढ़ा, लेकिन कुछ भी उसका मतलब नहीं मालूम हुआ। चिट्ठी में जो लिखा था।

“अली! सब ठीक हो चुका है। अब कुछ देर नहीं है। तैयार हो जाव”

शहर बंबई”

जासूस ने उसे पढ़कर हैदर के हवाले किया और कहा – “लो रखो। इस चिट्ठी से तो कुछ भी इसका मतलब नहीं मालूम हो सकता। इतना जाना जाता है कि इस चिट्ठी के लिखने वाले ने तुम्हारे पिता से कोई काम करने के लिए कहा था। उसने उस काम को पूरा करके तुम्हारे पिता को लिखा है, लेकिन तुम्हारे पिता ने किसको किस काम के लिए कहा था, इसको वह जब तक आप नहीं बतलावेंगे; तब तक जानने का कुछ उपाय नहीं है। इस चिट्ठी को पाकर जो तुम्हारे पिता ख़ुश हुए थे, इसका कारण यही है कि उन्होंने अपने काम में सफलता सुनकर ही प्रसन्नता दिखाई थी। इस चिट्ठी की लिखी बात से उनकी बीमारी का कुछ भी लगाव नहीं मालूम पड़ता। उन्होंने जो लंबी चिट्ठी लिखी थी उसके विषय में कुछ जानते हो?” Hindi Kahani Guptkatha

हैदर – “जानने का उपाय तो बहुत किया, लेकिन कुछ भी जान नहीं सका”

जासूस – “अच्छा आपने यह भी कुछ मालूम किया कि जिसके लिए वह चिट्ठी लिखी गई उसको वह भेजी गई या नहीं?”

हैदर – “मैं जहाँ तक जानता हूँ जिस रात को वह पूरी हुई, उस रात को तो रवाना नहीं हुई, क्योंकि दो बजे रात तक मैं ख़ु जागता रहा और बाद का हाल नौकरों से पूछा तो उन्होंने भी ऐसी कोई बात नहीं कही, जिससे उसका रवाना होना मालूम होता”

जासूस – “तो मैं समझता हूँ उन्होंने जो कुछ लिखा था वह चिट्ठी नहीं थी। उन्होंने अपनी बीमारी से मरने का अनुमान करके अपने मरे पीछे अपनी संपत्ति का प्रबंध करने के लिए वसीयत लिखी होगी और उसे कहीं बाहर भेजा भी नहीं, उनके घर में ही कहीं पड़ी होगी”

हैदर – “मैंने ख़ूब ढूँढ़ा लेकिन घर में उसका कहीं पता नहीं चला”

दोनों में ऐसी ही बातें हो रही थीं कि गाड़ी हैदर के मकान के सामने आ पहुँची।

जासूस के साथ हैदर भीतर गया, लेकिन वहाँ की दशा देखने पर उससे अब रहा नहीं गया, अधीर होकर लड़के की तरह रोने लगा। अब हैदर को चुप कराना कोई सहज काम नहीं है, ऐसा समझकर जासूस ने दो-चार पुराने विश्वासी नौकरों को अलग बुलाकर समझाया और कहा कि स्त्रियों को कह दो जनाने में चली जाएँ। चिराग़ अली के मरने की  ख़बर सुनकर थोड़ी देर में यहाँ शहर के इतने आदमी आ जावेंगे कि तिल रखने को भी जगह नहीं बचेगी। बेहतर हो कि वह अब तुरंत भीतर चली जावें और उनका सब काम जैसा आपके यहाँ होता है किया जाए।

उन नौकरों ने वैसा ही किया। सब स्त्रियों को भीतर भिजवा दिया। जब बैठक स्त्रियों से ख़ाली हो गयी, चिराग़ अली का शरीर बाहर लाया गया। उसको मुसलमानी धर्म के अनुसार पलंग पर रखकर अनेक लोग दफ़न करने को ले गए। साथ में हैदर भी गया।

क्रमशः Hindi Kahani Guptkatha

घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का छटवाँ भाग
घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का सातवाँ भाग
घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का आठवाँ भाग
घनी कहानी, छोटी शाखा: गोपालराम गहमरी की कहानी “गुप्तकथा” का अंतिम भाग

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