Kamar Best Shayari
बुरा क्या है बाँधो अगर तेग़-ओ-ख़ंजर
मगर पहले अपनी कमर देख लेना
जलील मानिकपूरी
برا کیا ہے باندھو اگر تیغ و خنجر
مگر پہلے اپنی کمر دیکھ لینا
جلیل مانک پوری
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शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ के बेहतरीन शेर….
ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर
एक नदी में कितने भँवर
जाँ निसार अख़्तर
زلفیں سینہ ناف کمر
ایک ندی میں کتنے بھنور
جاں نثاراختر
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कमर-ए-यार है बारीकी से ग़ाएब हर चंद
मगर इतना तो कहूँगा कि वो मा’दूम नहीं
अकबर इलाहाबादी
کمر یار ہے باریکی ث غائب ہر چند
مگر اتنا تو کہوں گا کہ وہ معدوم نہیں
اکبر الہ آبادی
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क़त्ल पर बीड़ा उठा कर तेग़ क्या बाँधोगे तुम
लो ख़बर अपनी दहन गुम है कमर मिलती नहीं
इमदाद अली बहर
قتل پر بیڑا اٹھا کر تیغ کیا باندھوگے تم
لو خبر اپنی دہن گم ہے کمر ملتی نہیں
امداد علی بحر
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तुम्हारे लोग कहते हैं कमर है
कहाँ है किस तरह की है किधर है
आबरू शाह मुबारक
تمہارے لوگ کہتے ہیں کمر ہے
کہاں ہے کس طرح کی ہے کدھر ہے
آبرو شاہ مبارک
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Kamar Best Shayari
आज फिर गर्दिश-ए-तक़दीर पे रोना आया – शकील बदायूँनी
दकनी शायर: बीजापुर और गोलकुंडा के दरबार की शायरी